सामने आई लता मंगेशकर की शादी ना करने की वजह, जानिए क्यों लता दी कुंवारी रह गईं
जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इसे बदलकर ‘लता’ रख दिया । लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं । मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। लता मंगेशकर के पिता रंगमंच के कलाकार और गायक रहे थे।
New Delhi, Sep 28: भारतरत्न स्वर-कोकिला और अब भारत की बेटी सम्मान से सुसज्जित लता मंगेशकर की आवाज के जादू से भला कौन बच पाया है । उनकी मधुर आवाज का जादू न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में फैला हुआ । उनके आवाज के नेता अभिनेता खिलाड़ी उद्योगपति सभी दीवाने हैं, इसीलिए तो उन्हें उनके जन्मदिन पर दुनिया भर से बधाई आ रही हैं । लता मंगेशकर पूरे 90 वर्ष की हो गई हैं, देश में प्यार भरे नगमे सुनाने वाली लता दीदी निीज जीवन में हमेशा अकेली ही रहीं, उन्होने कभी शादी नहीं की । क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों हुआ, आगे पढ़ें ।
लता दीदी का नाम हेमा हुआ करता था
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को एक मिडिल क्लास मराठी परिवार में हुआ । मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी थीं। उनका नाम पहले हमेा रखा गया था लेकिन जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने इसे बदलकर ‘लता’ रख दिया । लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं । मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ उनसे छोटे हैं। लता दीदी के पिता रंगमंच के कलाकार और गायक रहे थे।
पिता की मौत ने सब बदल दिया
लता बचपन से ही गायिकी का शौक रखती थीं, लेकिन उनके पिता शास्त्रीय संगीत के बहुत बड़ेप्रशंसक थे, इसीलिए शायद वह लताजी के फिल्मों में गाने के खिलाफ थे। साल 1942 में उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई । धन कमाने के लिए उन्होने मराठी और हिंदी फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं निभानी शुरू की। लता दीदी ने एक बार बताया था कि उन्हें पहली बार मंच पर गाने के लिए 25 रुपये मिले थे। उन्होंने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाना गाया। लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और सभी बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपना करियर चुना।
कभी शादी क्यों नहीं की ?
लता मंगेशकर के बारे में कहा जाता है कि उन्होने बचपन में कुंदनलाल सहगल की एक फिल्म ‘चंडीदास’ देखकर कहा था कि वह बड़ी होकर सहगल से शादी करेंगी। लेकिन उन्होंने कभी शादी नहीं की। इस बारे में उन्होने बताया की घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उन पर थी, ऐसे में जब शादी का ख्याल आता भी तो वह उस पर अमल नहीं कर सकती थीं। पूरा जीवन छोटे भाई-बहनों में ही चला गया । फिर जब जिम्मेदारियां खत्म हुई तो शादी का विचार ही नहीं आया ।