गांधी को मारने वाले गोडसे को नहीं मिली है शांति, जानें परिवार ने क्यों संभालकर रखी हैं अस्थियां
नाथूराम गोडसे की अस्थियों को 70 साल बाद भी विसर्जित नहीं किया गया है । ऐसा करने के पीछे उनकी अंतिम इच्छा है । गोडसे के परिवार ने अस्थियों को आजतक संभालकर रखा हुआ है ।
New Delhi, Oct 02: महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता को मारने वाले नाथू राम गोडसे की आतमा को अब तक शांति नहीं मिल पाई है । ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनकी अस्थियों को अब तक सहेजकर रखा हुआ है । दरअसल हिंदू धर्म में किसी की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है, शव को मुखाग्नि दी जाती है। जिसके बाद उसकी अस्थियों को नदी के प्रवाह में विसर्जित किया जाता है । कहा जाता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
70 साल बाद भी अस्थियां जस की तस
नाथू राम गोडसे के निधन को 70 बरस हो चुके हैं लेकिन उनकी अस्थियों को विर्सजित नहीं कियागया है। जी हां गोडसे की अस्थियां आज तक नदी में प्रवाहित नहीं की गई हैं। आपको बता दें कि गोडसे की अस्थियों का कलश आज भी पुणे के शिवाजी नगर इलाके में स्थित एक इमारत के कमरे में सुरक्षित रखी हुई हैं । इस कमरे में गोडसे के अस्थि कलश के अलावा उनके कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं।
परिवार ने बताई ये वजह
कुद सालों पहले नाथूराम गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर से जब एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि आज तक उनकी अस्थियों को संभाल कर रखने की वजह क्या है, तो उन्होंने बस यही कहा कि उनके परिवार को गोडसे का शव तक नहीं दिया गया था । फांसी के बाद सरकार ने खुद ही घग्घर नदी के किनारे उनका अंतिम संस्कार किया था । जिसके बाद उनकी अस्थियों को एक डिब्बे में भरकर उनके परिवार को सौंप दिया था। क्योंकि गोडसे ने अपनी फांसी के पहले अपने परिवार को अपनी अंतिम इच्छा बताई थी, इस वजह से ही उनके परिवार ने आज तक उनकी अस्थियों को नदी में प्रवाहित नहीं किया है।
गोडसे की अंतिम इच्छा
अब सवाल ये कि नाथूराम गोडसे की अंतिम इच्छा क्या थी । हम आपको बताते हैं, नाथूराम गोडसे ने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि उनकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए जब तक सिंधु नदी स्वतंत्र भारत में समाहित न हो जाए और फिर से एक बार अखंड भारत का निर्माण न हो जाए। जब ऐसा हो जाए तभी मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित करा जाए। बस इसी वजह से गोडसे के परिवार ने आज तक उनकी अस्थियों को संभाल कर रखा हुआ है।