यूपी का वो गांव जहां नहीं होता रावण का पुतला दहन, ना ही होती है रामलीला

रावण के इस गांव में मान्यता यह भी है कि यहां जो भी व्‍यक्ति मनोकामना मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी हो जाती है । बिसरख गांव में साल भर ही सैलानियों का तांता लगा रहता है ।

New Delhi, Oct 08: विजयदशमी के मौके पर जहां देश भर में लंकाधिपति रावण का पुतला दहन किया जाता है वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां रावण के लिए अपशब्‍द कहना तक वर्जित है । ये है यूपी का बिसरख गांव । उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में ना तो दशहरे के मौके पर रामलीला होती है, न ही रावण का ही दहन किया जाता है । इस गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है ।

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रावण का जन्‍म स्‍थान है बिसरख
शिवपुराण के अनुसार त्रेता युग में बिसरख गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था । यहीं उन्होंनेशिवलिंग की स्थापना की थी । विश्रवा ऋषि के घर ही रावण का जन्म हुआ था। ये उनकी जन्‍म स्‍थली है । बताया जाता है कि बिसरख गांव में कभी रामलीला नहीं होती और पुतला दहन भी नहीं होता, ये परंपरा बरसों से चली आ रही है । रावण के इस गांव में मान्यता यह भी है कि यहां जो भी व्‍यक्ति मनोकामना मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी हो जाती है । बिसरख गांव में साल भर ही सैलानियों का तांता लगा रहता है । यहां देश के कोने-कोने से भकत जन आते हैं । इस गांव में साल में दो बार मेला भी लगता है।

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क्‍यों नहीं होती रामलीला, पुतला दहन
बिसरख में 70 साल पहले पहली बार परंपराओं को तोड़कर रामलीला का आयोजन किया गया था । उस वक्‍त गांव में एक शख्‍स की मौत हो गई और रामलीला अधूरी रह गई । इसके बाद भी ग्रामीणों ने दोबारा रामलीला का आयोजन भी कराया और तब भी रामलीला के ही एक पात्र की मौत हो गई। इस बार भी ये रामलीला पूरी नहीं हो पाई । इसके बाद से बिसरख में फिर कभी रामलीला का आयोजन नहीं किया गया ।

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रावण ने की थी भगवान शिव की पूजा
बिसरख गांव में अब तक कई शिवलिंग मिल चुके हैं । एक शिवलिंग की गहराई इतनी बताई जाती है कि गहरी खुदाई के बाद भी उसका कहीं कोई छोर नहीं मिला है । ये अष्टभुजा के हैं । ऐसा कहा जाता है कि बिसरख गांव में रावण की पूजा से खुश होकर ही शिव ने उसे बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। परंपरा के मुताबिक इस गांव के लोग दशहरा तो मनाते हैं, लेकिन रावण दहन नहीं करते हैं। बिसरख गांव में कहा जाता है कि रावण ने समस्‍त राक्षस जाति का उद्धार करने के लिए सीता का हरण किया था । रावण पर इसके अलावा किसी का बुरा करने का कोई साक्ष्‍य नहीं है ।