वायुसेना की परीक्षा में फेल ना हुए होते, तो शायद मिसाइल मैन नहीं बन पाते अब्दुल कलाम, प्रेरणादायक है स्टोरी

कलाम साहब वायुसेना की परीक्षा में बैठे थे, उस परीक्षा में उन्हें मिलाकर कुल 25 उम्मीदवार थे, जिसमें से 8 का चयन होना था, कलाम नौवें नंबर पर रहे।

New Delhi, Oct 15 : आज पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन है, एक वैज्ञानिक जिसने अभावों में अपना बचपन काटा, लेकिन प्रतिभा को दम पर कामयाबी की बुलंदियां हासिल की, आसमान की बुलंदियां छूने के बाद भी उनका पैर जमीन पर ही रहा, उनकी सादगी के लोग कायल रहे, वो सही मायने में भारत के सच्चे सपूत थे।

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रामेश्वरम में जन्म
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था, एक मछुआरे के घर पैदा हुए कलाम का बचपन अभावों में बीता, लेकिन बचपन से ही उन्होने कुछ करने का हौसला पाल रखा था, पढाई का खर्च निकालने के लिये वो बचपन में ही घर-घर अखबार बांटते थे, वो मेहनती के साथ-साथ प्रतिभाशाली भी थे, गणित और भौतिकी उनके पसंदीदा विषय थे, कलाम भारतीय वायुसेना में जाना चाहते थे, इसलिये उन्होने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढाई की, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

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वायुसेना की परीक्षा में फेल हो गये कलाम
कलाम साहब वायुसेना की परीक्षा में बैठे थे, उस परीक्षा में उन्हें मिलाकर कुल 25 उम्मीदवार थे, जिसमें से 8 का चयन होना था, कलाम नौवें नंबर पर रहे, उनका सपना टूट गया, हालांकि तब कोई नहीं जानता था कि उनके वायुसेना में ना जाने से देश के लिये कुछ अच्छा होना था, उन्हें बड़ी भूमिका में देश सेवा करनी थी, उन्होने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरनॉटिकल साइंस में पढाई की, फिर 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में नौकरी कर ली, उनकी अगुवाई में ही भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसवी -3 बनाया, 1980 में इसी यान से पहला उपग्रह रोहिणी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया।

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मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम
कलाम के दौर में पूरी दुनिया में रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान चल रहे थे, नये-नये तरीके के हथियारों का निर्माण हो रहा था, उस दौर में मिसाइल टेक्नोलॉजी को किसी भी देश की रक्षा ताकत के तौर पर देखा जाता था, भारत के पास कुछ खास मिसाइल टेक्नोलॉजी नहीं थी, कोई भी देश भारत के साथ टेक्नोलॉजी साझा करने को तैयार नहीं था। जिसके बाद कलाम की अगुवाई में देश ने अपना पहला स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रम की शुरुआत की।

देश के 11वें राष्ट्रपति
1992 से लेकर 1999 तक अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे, इसी दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, जिसमें कलाम साहब की भूमिका अहम थी, उन्हें 2002 में देश का राष्ट्रपति चुना गया, उनके राष्ट्रपति बनने की भी कहानी उतनी ही दिलचस्प है, 2002 में तत्कालीन महामहिम के आर नरायणन का कार्यकाल खत्म हो रहा था, वाजपेयी सरकार के पास उतना बहुमत नहीं था कि अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवा सके, ये एनडीए सरकार के लिये परीक्षा की घड़ी थी, सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने राष्ट्रपति पद के लिये कलाम साहब का नाम आगे रखा, वाजपेयी सरकार ने इसका समर्थन किया, कांग्रेस के सामने मुश्किल स्थिति आ गई, क्योंकि कांग्रेस एक मुस्लिम उम्मीदवार की दावेदारी खारिज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी, जिसके बाद वो देश के 11वें राष्ट्रपति चुने गये।