भैयादूज/ भाईदूज  का पावन त्‍यौहार, टीका लगाने के लिए दोपहर इतने बजे का है शुभ मुहूर्त

कहा जाता है है यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें।  लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को हमेशा टाल देते थे।

New Delhi, Oct 29: दिवाली के के पांच महापर्वों में आज अंतिम पर्व भाईदूज मनाया जा रहा है । भाई बहन के प्रेम के प्रतीक इस पर्व को उत्‍तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है । राखी के पर्व पर जिस तरह बहन भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगती है ठीक उसी तरह भाई दूज के मौके पर बहन भाई के माथे पर टीका करती है और उसकी सुख समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती है  । आगे जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त क्‍या होगा ।

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तिलक का शुभ मुहूर्त
भाई दूज या भैया दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है ।इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं । इस बार भाई के तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर, 29 अक्‍टूबर मंगलवार को  दोपहर 1:11 मिनट से लेकर 3:23 बजे तक रहेगा। इस दौरान आप पहले भगवान की सामान्‍य पूजा करें और फिर आरती की थाली लेकर भाई की पूजा करें और फिर उसे तिलक आदि लगाकर उसकी पूजा करें और उसके लिए प्रार्थना करें ।

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भाई दूज की कथा
मान्यता के अनुसार भैयादूज या भाई दूज का ये पर्व भगवान सूर्यदेव और छाया के पुत्र-पुत्री यमराज-यमुना से संबंधित है । कहा जाता है है यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें।  लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को हमेशा टाल देते थे। कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को अचानक खड़ा देखकर बेहद खुश गईं। प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर वह स्नेह से भोजन करवाया।

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यमराज ने वरदान मांगने को कहा
कथानुसार, बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने बहन का कुछ भी वरदान मांगने को कहा। तब यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे घर भोजन करने आएं और इस दिन जो बहन अपने भाई को पूजा के बाद टीका लगाकर भोजन कराए उसे आपका भय न रहे। तभी से मान्यता है कि जो भाई इस दिन श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय भी नहीं रहता।