अब 7 नहीं 9 केन्‍द्र शासित प्रदेश, जानें आज से जम्मू-कश्मीर में क्या बदल गया ?

इसके साथ ही जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव भी होगा ।

New Delhi, Oct 31: जन्‍नत का दूसरा नाम है कश्‍मीर, भारत के सिर का ताज कहलाने वाला ये प्रदेश आज से नए रूप में जाना जाएगा । जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख आज से केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं । भारत सरकार की ओर से 5 अगस्त को कश्‍मीर में चले आ रहे 70 साल पुराने अनुच्छेद 370 को खत्‍म करने बाद, आज यानी 31 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग केन्‍द्र शासित प्रदेश बन बन गए हैं ।

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ये होगा स्‍वरूप
जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख को दो हिस्‍सों में बांट दिया गया है । जिसमें जम्‍मू कश्‍मीर दिल्‍ली की तरह  विधानसभा वाला केन्‍द्र शासित प्रदेश होगा जबकि लद्दाख पूरी तरह से केन्‍द्र के अधीन होगा । इस नए स्‍वरूप, बदलाव के बाद जम्‍म्‍ू कश्‍मीर में संसद के बने कानून लागू हो सकेंगे, जो अब तक 370 के कारण संभव नहीं थे । जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख दोनों राज्‍यों को केन्‍द्र शासित प्रदेश घोषित करने वाला राजपत्र राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्‍ताक्षर कर जारी कर दिया गया है ।

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जम्मू-कश्मीर में ये बातें बदल गईं
जम्‍मू कश्‍मीर अब तक पूर्ण राज्‍य था, 31 अक्‍टूबर गुरुवार से अब जम्‍मू कश्‍मीर दो केन्‍द्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है । जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग कर दिया गया है । अब तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था लेकिन अब वहां उपराज्‍यपाल होंगे । जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है । आपको बता दें आज के बाद दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा,  लेकिन इनके एडवोकेट जनरल अलग होंगे । सरकारी कर्मचारियों के सामने भी दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा ।

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केन्‍द्र कानून लागू होंगे
370 होने के कारण पिछले 70 वर्षों से केन्‍द्र के कानूनों से वंचित इस क्षेत्र में अब जम्मू-कश्मीर औरलद्दाख दोनों राज्यों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे । जिसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून भी शामिल है ।  इसके साथ ही जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम 7 कानूनों में बदलाव भी होगा । इसके अलावा यहां राज्‍य स्‍तर पर बने 153 कानून खत्म हो जाएंगे ।

ये भी होंगे बदलाव
दोनों राज्यों के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल गई है । जम्मू-कश्मीर में अब विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का ही होगा । इसके अलावा देश की दूसरी विधानसभाओं के सभी कानून लागू होंगे ।  जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी । लोकसभा सीटों में कोई बदलाव नहीं होगा, केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा । 31 अक्टूबर के बाद से चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है ।