100 करोड़ के टैक्‍स मामले में राहुल गांधी को देना पड़ सकता है जवाब, पूरा मामला आगे पढ़ें

राहुल गांधी को लेकर बड़ी खबर आ रही है । 100 करोड़ टैक्‍स मामला एक बार फिर खुल सकता है । गांधी परिवार के दावे को इनकम टैक्‍स ट्रिब्‍यूनल ने खारिज कर दिया है । पूरी खबर आगे पढ़ें ।

New Delhi, Nov 16: राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, इन्‍कम टैक्‍स ट्रिब्‍यूनल ने गांधी परिवार के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें यंग इंडिया को चैरिटेबल संस्‍था बनाने के लिए कहा गया था । गांधी परिवार की इस अर्जी को खारिज करते हुए ट्रिब्‍यूनल ने ये साफ कहा है कि ये एक व्यवसायिक संस्थान है । आपको बता दें इससे पहले गांधी परिवार ने दावा किया था कि यंग इंडियन चैरिटेबल संस्था है और उसे टैक्स में छूट मिलनी चाहिए ।

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टैक्‍स में छूट की मांग की थी
कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी को इन्‍कम टैक्‍स ट्रिब्‍यूनल  ने बड़ा झटका दिया है । इंडिया टुडे   की रिपोर्ट के मुताबिक इन्‍कम टैक्‍स ट्रिब्‍यूनल ने राहुल की अर्जी को खारिज करते हुए यंग इंडियान को व्यवसायिक संस्थान माना है और इसे टैक्‍स छूट देने से इनकार किया है । जिसका साफ अर्थ है कि अब  राहुल गांधी के खिलाफ 100 करोड़ रुपए के इन्कम टैक्स का केस फिर खुल सकता  है ।

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सुनवाई में क्‍या हुआ
सुनवाई के दौरान ट्रिब्‍यूनल के सामने जानकारी में आया कि कांग्रेस पार्टी की ओ से यंग इंडियन को लोन दिया गया था । जिससे उसने असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के साथ मिलकर एक बिजनेस किया था । अब जब ये साबित हो गया है कि यंग इंडियन कोई चैरिटेबल संस्‍था नहीं है तो ऐसे में कांग्रेस को इनकम टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म हो सकती है, क्योंकि उसने इन कंपनियों को मदद करके नियमों का उल्लंघन किया है।  रिपोर्ट के अनुसार अर्जी देने वालों की ओर से ऐसी किसी गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया गया है, जो ट्रस्‍ट के मकसद के लिए आयोजित की गई हों ।

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सोनिया और राहुल गांधी हैं यंग इंडियन के डायरेक्टर
आपको बता दें यंग इंडियन संस्‍था के डायरेक्‍टर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हैं । दोनों के पास कंपनी की कुल 36 फीसदी हिस्सेदारी है । गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज के पास कंपनी के 600 शेयर हैं । 2017 में कांग्रेस ने दिल्ली हाई कोर्ट में बताया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नॉन प्रॉफिट कंपनी है । मामले में इसी साल अगस्त महीने में में ईडी ने ए जे एल, मो तीलाल वोरा और हरियाणा के पूर्व सीएम मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में आरोपपत्र दायर किया था । जिसमें पता चला था कि हरियाणा के पंचकूला में एक प्लॉट को एजेएल को साल 1982 में दिया गया था, लेकिन इसे एस्टेट अधिकारी एच यू डी ए ने 30 अक्टूबर 1992 को वापस ले लिया था, क्योंकि कंपनी ने आवंटन पत्र की शर्तों का पालन नहीं किया ।