अमिताभ बच्‍चन ने बताया ‘बाल ठाकरे ना होते तो मैं आज जिंदा ना होता’

बाला साहेब का बॉलीवुड में कई बड़े एक्‍टर्स से बड़ा ही गहरा नाता रहा, उन्‍हीं में से एक अमिताभ बच्‍चन भी हैं । बिग बी का ठाकरे परिवार से करीबी का एक ऐसा ही किस्‍सा आगे पढ़ें ।  

New Delhi, Nov 18: बाल ठाकरे जब जिंदा थे तो उनके आवास पर बॉलीवुड सितारों का आना-जाना लगा ही रहता था । एक से बढ़कर एक जाना-पहचाना चेहरा उनके सामने नत मस्‍तक रहता था । बाला साहेब खुद भी सितारों के यहां होने वाली पार्टीज में नजर आते रहते थे । ठाकरे परिवार के करीबी अमिताभ बच्‍चन भी रहे हैं, बच्‍चन परिवार का ठाकरे परिवार से बेहद गहरा नाता रहा है । बाहरी होने के बावजूद अमिताभ बच्‍चन को बाला साहेब ने जो प्‍यार दिया वो अमिताभ कभी नहीं भुला पाते । बाला साहेब की पुण्‍यतिथि पर अमिताभ का एक ऐसा ही किस्‍सा आगे पढ़ें ।

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बिग बी की बचाई थी जान
एक अंग्रेजी वेबसाइट को इंटरव्‍यू देते हुए अमिताभ ने अपने और बाला साहेब के रिश्‍ते को लेकर    बड़ा खुलासा किया था । अमिताभ ने कहा था – फिल्‍म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनकी हालत इतनी खराब थी कि उन्हें तुरंत ही अस्पताल ले जाना था। उस दिन मुंबई का मौसम खराब था, जिसके चलते एंबुलेंस उन तक नहीं पहुंच पा रही थी। उस वक्त उनकी मदद की शिवसेना की एंबुलेंस ने जिसे बाल ठाकरे ने उपलब्ध कराया था।

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तो आज मै जिंदगा ना होता …
अमिताभ ने इस इंटरव्‍यू में कहा था –  ‘बाल ठाकरे ने मेरी तब मदद की जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी। अगर उस वक्त उन्होंने मेरी मदद नहीं की होती तो आज मैं जिंदा नहीं होता।’ इसके अलावा एक कार्यक्रम के दौरान सीनियर बच्चन ने बताया था – ‘ठाकरे परिवार के साथ मेरा पारिवारिक संबंध रहा है। बाला साहब के परिवार के साथ हम सब भी एक परिवार की तरह ही रहे हैं।’

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बाला साहेब ने दिया था निमंत्रण
अमिताभ ने बताया कि – ‘जया और मेरा जब विवाह हुआ तब बाला साहेब ने मुझे बुलाया। मैं उनसे मिलने पहुंचा तो वह बोले तुमने अब विवाह कर लिया है तो अपनी पत्नी को लेकर घर आओ। मैं उनके घर गया और आई ने जिस तरह अपने घर में जया का स्वागत किया वह बिलकुल ऐसा था कि उनकी खुद की बहू घर आई हो। तभी से हमारा ठाकरे परिवार के साथ पारिवारिक संबंध बना रहा। उनका स्नेह, आदर, प्यार और उनकी देख रेख की कमी मुझे हमेशा याद रहती है। जब भी मेरे जीवन में कोई ऐसी घड़ी आई जब हमें उनसे थोड़ी सी प्रेरणा लेनी हो तो हम उनके पास पहुंच जाते थे और वह हमारा हाथ पकड़कर हमें मार्गदर्शन देते थे।’