राजस्थान का पुलिसवाला जिसने सड़क पर पढ़ने वाले 450 बच्चों के लिए स्कूल बना दिया
राजस्थान के एक पुलिसवाले ने कमाल कर दिया, उन लोगों के लिए मिसाल कायम कर दी जो कहते हैं कि सिर्फ एक के करने से क्या होता है ।
New Delhi, Nov 20: सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को देखकर अगर आपको सिर्फ गुस्सा ही आता है तो ये खबर आपके लिए ही है । बच्चे देश का भविष्य हैं ये बात सिर्फ उन लोगों के बच्चों पर ही सटीक नहीं बैठती जो अच्छा कमाते हैं, या समर्थ हैं किसी भी तरह से बल्कि वो बच्चे जो सड़कों पर हैं, भीख मांग रहे हैं, निराश्रित हैं, काम कर रहे हैं वो भी इस देश का ही भविष्य हैं । शायद इसी एक सोच ने धर्मवीर जाखड़ नाम के पुलिसवाले को एक प्रेरणा बना दिया । चुरू पुलिस में तैनात एक जवान ने ऐसा क्या किया कि वो खबरों में आ गया, आगे पढ़ें ।
सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों की बदली जिंदगी
राजस्थान के चुरू जिले में पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबल के पद पर काम कर रहे धर्मवीर जाखड़ का हमेशा से मानना था कि शिक्षा के जरिए भारत देश के गरीबों और वंचितों का उत्थान हो सकता है । अपनी इसी सोच को उन्होने साकार किया और उन बच्चों तक स्कूल को पहुंचाया जो उस तबके से आते हैं जहां दो रोटी भी मुश्किल से नसीब होती है । जाखड़ चुरू जिले में कचरा बीनने और भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा तक ले जाने में मदद कर रहे हैं।
2016 में शुरू की अपनी पाठशाला
धर्मवीर जाखड़ राजस्थान के चुरू जिले के रहने वाले हैं । उन्होंने जिले में ही एक स्कूल खोला है जिसका नाम आपणी पाठशाला यानी कि अपनी पाठशाला है । यहां गरीब और कमजोर आर्थिक स्थिति वाले बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाता है। 1 जनवरी 2016 को जाखड़ ने इस स्कूल की शुरुआत की थी । यह स्कूल चुरू में महिला पुलिस स्टेशन के पास है और यहां 450 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। स्कूल में ऐसे बच्चों को पढ़ाया जाता है जो पहले भीख मांगते थे या फिर कचरा उठाते थे । बच्चें को यूनिफॉर्म, किताबें, बैग और अन्य जरूरी चीजें भी दी जाती हैं।
पहले खुद पढ़ाना शुरू किया, फिर स्कूल की शुरुआत की
धर्मवीर ने इस बारे में बताया कि ‘जब मैंने ऐसे बच्चों से बात की तो उन्होंने मुझे बताया कि उनके ना तो कोई पैरेंट्स हैं और ना ही कोई रिश्तेदार। शुरुआत में मैंने सोचा कि शायद वे झूठ बोल रहे हों लेकिन जब मैंने उनकी बस्ती में जाकर देखा तो पता चला कि वे सच बोल रहे थे। मैंने महसूस किया कि अगर मैं इनकी मदद नहीं करूंगा तो शायद ये अपनी पूरी जिंदगी भीख मांगने में ही खराब कर देंगे। फिर मैंने उन्हें रोज 1 घंटे पढ़ाना शुरू किया।’
बच्चों के लिए सुविधाएं
फिलहाल इस स्कूल में कक्षा 1 से 7वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं, इनमें 5वीं क्लास तक के बच्चों की संख्या 360 और 6 ठी व 7 वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 90 है । बच्चों को घर से स्कूल लाने और वापस ले जाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी है । जाखड़ ने बताया कि बच्चे रोज स्कूल आएं इसके लिए उनके माता-पिता से बात की जाती है । कई बच्चे पढ़ाई के बाद कचारा बीनने का काम भी करते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें फिर पढ़ने नहीं भेजते । धर्मवीर ने बताया कि स्कूल को अकेले चलाना बहुत महंगा है, हर महीने का खर्चा करीब 1.5 लाख रुपये होता है। मदद के लिए वो सोशल मीडिया के जरिए फंड इकठ्ठा करते हैं । उनका स्टाफ और चुरू जिला प्रशासन भी अब इस नेक काम में उनके साथ है ।