राज्यपाल ने किया था दिल्ली दौरा रद्द, ऐसे बना बीजेपी सरकार का रोडमैप, ये है इनसाइड स्टोरी

इस बार सरकार गठन की सबसे खास बात ये रही, कि जो चेहरे देश में सरकार बनाने और गिराने के लिये जाने जाते हैं, वो इस बार सरकार गठन की प्रक्रिया से दूर रहे।

New Delhi, Nov 23 : महाराष्ट्र में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बन गई है, लेकिन ये सरकार कैसे बनी, इस पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि बीजेपी कुछ बड़ा करने जा रही है, इस बात का अंदाजा इसी से लगना शुरु हो गया था, जब अचानक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया, राजनीतिक एक्सपर्ट इस बात को समझ गये, लेकिन किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, कि आखिर शिवसेना को सरकार बनाने के लिये तीन दिन का समय ना बढाने वाले राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे के इंतजार में अपना दिल्ली दौरा कैसे रद्द कर दिया, हालांकि सुबह फडण्वीस के शपथ लेते ही पूरी स्थिति साफ हो गई, कि आखिर राज्यपाल ने दौरा क्यों रद्द किया था।

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बड़े नेताओं ने बैकडोर से खेला गेम
इस बार सरकार गठन की सबसे खास बात ये रही, कि जो चेहरे देश में सरकार बनाने और गिराने के लिये जाने जाते हैं, वो इस बार सरकार गठन की प्रक्रिया से दूर रहे, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनसीपी के नेताओं से किसी तरह की बैठक या दूसरी चीजों से खुद को दूर रखा, फडण्वीस भी बैठकों से दूर रहे, इन नेताओं के रुख से साफ है कि सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी होने से पहले दोनों दलों ने मीडिया और कांग्रेस-शिवसेना का ध्यान दूसरी ओर रखा, ताकि सरकार बनाने का पूरा रोडमैप फाइनल कर लिया जाए और इसकी किसी को भनक भी ना लगे, दोनों दलों को पता था कि अगर दोनों दलों के बीच बात नहीं बनती तो आगे उन्हें नुकसान भी हो सकता है।

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चाचा को मनाने की कोशिश
सूत्रों का दावा है कि भले शरद पवार कह रहे हों, कि उन्हें अजित पवार के फैसले की जानकारी नहीं थी, वो शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की कोशिश करते रहे, वहीं अजित पवार शरद पवार पर लगातार बीजेपी को समर्थन देने का दबाव बनाते रहे, 22 नवंबर की रात अजित पवार को लगने लगा कि अब शरद पवार बीजेपी के साथ जाने को तैयार नहीं हैं, इसके बाद उन्होने पार्टी तोड़ने का फैसला लिया।

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चाचा-भतीजा में मतभेद
एनसीपी में शरद पवार की विरासत को लेकर सुप्रिया सूले और अजित पवार में खींचतान चल रही है, इसकी भनक लोकसभा चुनाव के दौरान भी सामने आई, तब अजित अपने बेटे पार्थ को टिकट देना चाहते थे, लेकिन शरद पवार ने तब कहा था कि सारे सीट घर वाले ही लड़ लेंगे, तो कार्यकर्ताओं के लिये क्या बचेगा, इसके बाद पार्थ का टिकट काट दिया गया था।