सोनिया गांधी की वजह से पीएम बनते-बनते रह गये थे शरद पवार, बीजेपी ने दिया था डिप्टी पीएम का ऑफर

पूर्व पीएम राजीव गांधी के निधन के बाद शरद पवार 1991 में पीएम पद की रेस में शामिल थे, लेकिन सोनिया गांधी के दखल के बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को बनाया गया।

New Delhi, Nov 27 : महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कुछ दिनों से लगातार उलटफेर देखने को मिल रहा है, पहले शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा, फिर एनसीपी और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिये मनाया, इसके बाद नाटकीय तरीके से बीजेपी ने सरकार बना ली, हालांकि शरद पवार की कोशिशों के बाद सीएम देवेन्द्र फडण्वीस ने बहुमत परीक्षण से पहले ही हथियार डाल दिये और इस्तीफा दे दिया, इस बार एक बार फिर से शरद पवार किंगमेकर की भूमिका में नजर आये। लेकिन क्या आपको पता है कि शरद पवार 1991 में प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गये थे, वो कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि वो सोनिया गांधी की वजह से प्रधानमंत्री नहीं बन पाये।

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डिप्टी पीएम का ऑफर
पूर्व पीएम राजीव गांधी के निधन के बाद शरद पवार 1991 में पीएम पद की रेस में शामिल थे, लेकिन सोनिया गांधी के दखल के बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को बनाया गया, नाराज शरद पवार अकसर कहते थे कि वो सोनिया गांधी की वजह से पीएम नहीं बन सके, उन्होने कई मौकों पर सार्वजनिक रुप से कहा कि 1991 में 10 जनपथ के कुछ वफादारों ने सोनिया गांधी को मेरे बजाय पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाने के लिये तैयार किया था।

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सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा
दरअसल सोनिया गांधी किसी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बिठाना चाहती थीं, जिसके अपने स्वतंत्र विचार हों, इसके 8 साल बाद शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए 1999 में एनसीपी का गठन किया, हालांकि 1999 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की वाजपेयी सरकार ने शरद पवार को डिप्टी पीएम पद की पेशकश की थी, इसके बाद भी महाराष्ट्र में पवार ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली, विलासराव देशमुख महाराष्ट्र के सीएम बने थे।

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साबित हुए किंगमेकर
लोकसभा चुनाव 2004 के बाद शरद पवार की पार्टी एनसीपी वापस कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में शामिल हो गई, मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बनें, शरद पवार को कृषि मंत्री बनाया गया गया, इसके बाद 2009 में दोबारा यूपीए सरकार में उन्हें कृषि के साथ-साथ सार्वजनिक वितरण मंत्री की भी जिम्मेदारी मिली, 29 नवंबर 2005 को बीसीसीआई अध्यक्ष बनें, फिर 1 जुलाई 2010 को आईसीसी के अध्यक्ष पद के लिये चुने गये, इसके बाद उन्होने केन्द्र में अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, उन्होने इस बार महाराष्ट्र की सियासत में दखल दिया, तो किंगमेकर साबित हुए।