क्या राज ठाकरे के लिये संजीवनी साबित होगा उद्धव ठाकरे का ये फैसला?

शिवसेना से अलग होने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया, राज भी अपने चाचा बाल ठाकरे की तरह कट्टर छवि के लिये मशहूर हैं।

New Delhi, Nov 28 : पिछले पांच दशक से महाराष्ट्र में कट्टर हिंदुत्व की राजनीति कर रही शिवसेना जल्द ही किंगमेकर से किंग बनने जा रही है, अपनी स्थापना से लेकर 2019 विधानसभा चुनाव तक महाराष्ट्र में शिवसेना कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करती रही है, लेकिन अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से बंधने जा रही है, यानी अब चाहकर भी उनके लिये हिंदुत्व की राजनीति करना आसान नहीं होगा, ऐसे में सवाल ये है कि महाराष्ट्र में खाली पड़ी हिंदुत्व राजनीति की उर्वर जमीन पर कौन वोटों की फसल काटेगा, कभी शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की परछाई कहे जाने वाले राज ठाकरे के लिये ये बढिया अवसर हो सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र में उन्हें उन शिवसैनिकों का भी सहयोग मिलेगा, जो उद्धव ठाकरे के निर्णयों से नाराज हैं।

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बाल ठाकरे की छवि
आपको बता दें शिवसेना से अलग होने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया, राज भी अपने चाचा बाल ठाकरे की तरह कट्टर छवि के लिये मशहूर हैं, ज्यादातर लोगों को राज में बाल ठाकरे की छवि दिखती है, वो खुद को बाल ठाकरे का उत्तराधिकारी भी मानते थे, यही वजह है कि 2004 में जब बाल ठाकरे ने अपने बेटे उद्धव को उत्तराधिकारी घोषित किया, तो एक साल के भीतर ही उन्होने शिवसेना छोड़ नई पार्टी बना ली थी।

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बैकफायर कर गई राजनीति
शिवसेना से अलग होने के बाद पहले ही चुनाव में राज ठाकरे की ताकत भी दिखी, उन्होने विधानसभा में 13 सीटें जीती, लेकिन यूपी-बिहार से पलायित होकर महाराष्ट्र में जीविकोपार्जन करने वाले लोगों के खिलाफ मनसे की राजनीति बैकफायर कर गई, राज ठाकरे की पार्टी यही से सिकुड़ती चली गई, मनसे 2014 और 2019 विधानसभा चुनावों में 1-1 सीटों पर सिमट गई, विश्लेषकों के मुताबिक राज ठाकरे ने गैर मराठी लोगों के प्रति जो राजनीति की, वो उन्हें भारी पड़ गई, पार्टी का जनाधार तेजी से छिटकने लगा, नफरत की राजनीति की वजह से ना सिर्फ यूपी-बिहार बल्कि मराठा वोट भी उनके हाथों से खिसक गया, दूसरी ओर शिवसेना फलने-फूलने लगी, क्योंकि बीजेपी जैसी बड़ी पार्टी उसके साथ खड़ी थी।

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हिंदुत्व पर समझौता
अब समय बदल चुका है, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सत्ता के लिये हिंदुत्व राजनीति से समझौता कर घोर विरोधी दलों के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं, राज ठाकरे के लिये हिंदुत्व की राजनीति पर कब्जा करने का ये अच्छा मौका है, विश्लेषकों के मुताबिक राज ठाकरे के लिये ये इतना भी मुश्किल काम नहीं होने वाला है, क्योंकि अगर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार 6 महीने भी सत्ता में रही, तो शिवसेना हिंदुत्व राजनीति से दूर हो जाएगी।