Opinion – प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर भाजपा और संघ की दाल पतली करवा दी है

यदि प्रज्ञा गोड़से और गांधी के बारे में खूब पढ़े और उन्हें समझने के बाद माफी मांग ले तो और बात है।

New Delhi, Nov 29 : भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दाल पतली करवा दी है। वह कहती है कि उसने शहीद उधमसिंह की देशभक्ति पर संदेह करने को गलत बताया है लेकिन भाजपा, कांग्रेस और द्रमुक के नेता मान रहे हैं कि उसने नाथूराम गोड़से की देशभक्ति को सराहा है।

Advertisement

जब द्रमुक के सांसद ए. राजा ने उस संशोधन का विरोध किया, जो पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजन को सिर्फ पांच साल तक ही सुरक्षा देने का प्रावधान करता है, तब उन्होंने कहा कि गोड़से तो 32 साल से गांधी को मारने की सोच रहा था। (इसलिए महत्वपूर्ण लोगों को आजीवन सुरक्षा मिलनी चाहिए)। इस पर प्रज्ञा ने कहा कि आप एक देशभक्त के लिए ऐसा नहीं कह सकते। यदि प्रज्ञा अब यह कहती है कि उसने ऐसा नहीं कहा तो तीन प्रश्न खड़े होते हैं। एक तो यह कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रज्ञा के उस बयान को लोकसभा-कार्रवाई से बाहर क्यों निकलवाया ?

Advertisement

और फिर रक्षा मंत्री राजनाथसिंह और भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने उसकी भर्त्सना क्यों की ? तीसरा यह कि प्रज्ञा को रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति से क्यों बाहर निकाला गया ? जब प्रज्ञा ने ऐसी ही गलती अपने चुनाव के दौरान की थी, तब मैंने टीवी चैनलों पर कहा था और अखबारों में लिखा था कि उसकी उम्मीदवारी रद्द की जानी चाहिए लेकिन आश्चर्य है कि दिग्विजयसिंह-जैसे दिग्गज नेता को हराकर भोपाल के लोगों ने इस अनपढ़ लड़की को जिता दिया। उस समय भाजपा के नेताओं ने उसे डांट पिलाई लेकिन उसे कुछ अक्ल नहीं आई।

Advertisement

हालांकि नरेंद्र मोदी ने उसके इस अपराध को अक्षम्य बताया लेकिन उसने संसद के पटल पर दुबारा यह दुस्साहस किया, इसका एक अर्थ भाजपा-विरोधी लोग यह भी लगाते हैं कि गोड़से के लिए अंदर ही अंदर भाजपा और संघ बहुत आदरपूर्ण हैं लेकिन अलोकप्रियता के डर से गांधी और सरदार पटेल की माला जपते रहते हैं। लेकिन प्रज्ञा में यह चतुराई नहीं है। वह गांव की लड़की है। इसीलिए वह सपाटबयानी कर देती है। यदि प्रज्ञा गोड़से और गांधी के बारे में खूब पढ़े और उन्हें समझने के बाद माफी मांग ले तो और बात है, वरना बेहतर तो यह होगा कि जैसे अदालत ने गोड़से को दुनिया से निकाल बाहर किया था, प्रज्ञा को भाजपा और संसद से बाहर कर दिया जाना चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)