बंगाल उपचुनाव- गैर-बंगाली वोटर्स ने ऐसे बदली ममता बनर्जी की किस्मत, पीके की जबरदस्त रणनीति

तृणमूल कांग्रेस ने खडगपुर सदर में रेलवे के निजीकरण का मुद्दा उठाया था, इस मुद्दे को लेकर गैर बंगाली वोटर्स खासकर तेलगू भाषी वोटर्स खासे नाराज थे।

New Delhi, Nov 30 : पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में हुए उपचुनाव में सीएम ममता बनर्जी की पार्टी ने जोरदार वापसी करते हुए तीनों सीटों पर कब्जा कर लिया, ये सीटें हैं खडगपुर, करीमपुर और कलियागंज, इससे पहले इस पर एक पर टीएमसी, दूसरे पर बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा था, 6 महीने पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन इलाकों में तृणमूल को कड़ी टक्कर दी थी, आइये नजर डालते हैं उन फैक्टर्स पर जिससे ममता बनर्जी ने यहां की बाजी पलट दी।

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खडगपुर रेलवे के निजीकरण का मुद्दा
तृणमूल कांग्रेस ने खडगपुर सदर में रेलवे के निजीकरण का मुद्दा उठाया था, इस मुद्दे को लेकर गैर बंगाली वोटर्स खासकर तेलगू भाषी वोटर्स खासे नाराज थे, ममता बनर्जी की पार्टी ने इसे भुनाने की कोशिश की, खडगपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.24 लाख वोट्रस हैं, जिसमें से करीब 1 लाख गैर बंगाली और तेलगू हैं, यहां रहने वाले ज्यादातर लोग रेलवे में काम करते हैं।

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एनआरसी का मुद्दा
कलियागंज विधानसभा में ममता की पार्टी ने एनआरसी को मुद्दा बनाया, लोगों को बताया कि केन्द्र सरकार अब असम के बाद यहां भी एनआरसी लाने वाली है, इस क्षेत्र में बड़े-बड़े होर्डिग्स, पोस्ट्रर्स लगवाकर लोगों को एनआरसी से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया, लोगों को ये भी बताने की कोशिश की गई कि ममता बनर्जी एनआरसी के सख्त खिलाफ है। हालांकि इस विधानसभा में टीएमसी को बड़े अंतर से जीत नहीं मिली, दरअसल इस विधानसभा में 50 फीसदी जनसंख्या राजबोंशी समुदाय का है, जो एनआरसी के पक्ष में हैं, टीएमसी ने यहां 2304 वोटों से जीत हासिल की।

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प्रशांत किशोर का कमाल
कहा जा रहा है कि चुनावी रणनीतिकार पीके की मेहनत ने भी ममता बनर्जी की पार्टी के लिये बड़ा काम किया, प्रशांत किशोर ने सभी पक्षों की नाराजगी दूर की, वो उन सब को एक साथ मंच पर ले कर आये, जो पार्टी से दूर हो रहे थे, उन्होने टीएमसी सुप्रीमो को आलोचना करने से बचने और विवादों से दूर रहने की सलाह दी थी, ममता बनर्जी को खासतौर से पीएम मोदी के खिलाफ कुछ भी विवादित बयान देने से बचने को कहा, साथ ही पीके ने ममता बनर्जी की प्राथमिकताओं में बदलाव कराया, साथ चुनाव के बजाय सुशासन पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा।