चांद पर लापता हुआ विक्रम लैंडर मिल गया ! NASA ने तस्वीरें जारी कर बताया क्या हुआ था
चंद्रयान-2 को लेकर NASA ने बड़ी खबर दी है । विदेशी अंतरिक्ष संस्थान ने दावा किया है कि उसने लापता हुए विक्रम लैंडर का मलबा ढूढ़ निकाला है । बकायदा तस्वीरें जारी की हैं ।
New Delhi, Dec 03: भारत का चंद्रयान 2 मिशन अधूरा रह गया था, 7 सिंबर को इसरो की ओर से चांद पर भेजे गए विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं हो पाई थी, और वो लापता हो गया था । इस मिशन के आखिरी पलों में ही लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया था । मामले में अब विदेशी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम लैंडर को ढूढ़ने का दावा किया है । बताया गया है कि विक्रम लैंडर का मलब चांद की सतह पर तय लैंडिंग साइट से 750 मीटर दूर मिला है ।
नासा ने ट्वीट कर दी जानकारी
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ट्वीट किया – ‘’चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर हमारे ‘नासा मून’ मिशन द्वारा ढूंढ लिया गया है।’’ कुछ तस्वीरें जारी की गई हैं जिसमें इम्पैक्ट साइट के बारे में बताया गया है । नासा ने अपने लूनर टोही यान (एलआरओ) कैमरे से ली गई तस्वीरों को पोस्ट किया । तस्वीरों में चंद्रमा पर साइट के परिवर्तन और उससे पहले और बाद के प्रभाव बिंदु को दिखाया गया है । जिससे पता चलता है कि चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की हार्ड-लैंडिंग हुई थी ।
The #Chandrayaan2 Vikram lander has been found by our @NASAMoon mission, the Lunar Reconnaissance Orbiter. See the first mosaic of the impact site https://t.co/GA3JspCNuh pic.twitter.com/jaW5a63sAf
— NASA (@NASA) December 2, 2019
मलबे में बदल गया विक्रम लैंडर
नासा की ओर से जारी तस्वीरों में नीले और हरे रंग के डॉट्स दुर्घटना से जुड़े हुए मलबे को दर्शा रहे हैं । ग्रीन डॉट्स अंतरिक्ष यान के मलबे की पुष्टि या संभावना का संकेत दे रहे हैं । जबकि ब्लू डॉट्स मिट्टी का पता लगाते हैं, जहां अंतरिक्ष यान के छोटे-छोटे टुकड़े पड़े हुए हैं । नासा ने दावा किया है कि ये भारत के चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर का ही मलबा है ।
टूट गया था संपर्क
आपको बता दें भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की तरफ से 7 सितंबर को चंद्रयान 2 मिशन को शुरू किया गया था । लेकिन चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं हो सकती । लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की कोशिश शुरू की गई थी, लेकिन चांद पर नीचे की ओर आते समय करीब 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया था ।