बचपन में गुजर गई थी मां, पिता ने दूध बेचकर बनाया क्रिकेटर, प्रेरणादायक है युवा क्रिकेटर की कहानी

प्रियम गर्ग जब 11 साल के थे, तभी उनकी मां चल बसी, हालांकि उनके पिता नरेश गर्ग ने अपने बच्चों की परवरिश में कमी नहीं छोड़ी, वैसे तो नरेश गर्ग बेहद गरीब थे, पैसों की तंगी थी, घर-घर जाकर साइकिल पर दूध बेचते थे।

New Delhi, Dec 03 : दक्षिण अफ्रीका में खेले जाने वाले अंडर-19 क्रिकेट विश्वकप के लिये टीम इंडिया का ऐलान हो चुका है, टीम के ऐलान के साथ ही मेरठ के एक घर में खुशियों की लहर दौड़ गई, एक छोटा सा लोअर मिडिल क्लास फैमिली बेहद खुश है, क्योंकि उनके घर का सबसे छोटा सदस्य इस टीम का कप्तान बना है, जी हां, हम बात कर रहे हैं यूपी के क्रिकेटर प्रियम गर्ग की, जिन्हें अंडर-19 टीम की कप्तानी सौंपी गई है, भले प्रियम को अब तक आईपीएल में मौका ना मिला हो, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्होने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है।

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अगला विराट कोहली
प्रियम ने 11 फर्स्ट क्लास मैचों में 67.83 के शानदार औसत से 814 रन बनाये हैं, जिसमें दोहरा शतक भी शामिल है, प्रियम उन चंद क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होने अंडर-14, अंडर 16 और रणजी ट्रॉफी में दो-दो दोहरे शतक लगाये हो, प्रियम को अगला विराट कोहली कहा जाता है, वैसे इस युवा बल्लेबाज की कहानी विराट से मिलती-जुलती है, इन्हें भी कम उम्र में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद उन्होने क्रिकेट नहीं छोड़ी, आइये आपको बताते हैं इनके क्रिकेटर बनने की प्रेरणादायक कहानी।

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बचपन में उठा मां का साया
प्रियम गर्ग जब 11 साल के थे, तभी उनकी मां चल बसी, हालांकि उनके पिता नरेश गर्ग ने अपने बच्चों की परवरिश में कमी नहीं छोड़ी, वैसे तो नरेश गर्ग बेहद गरीब थे, पैसों की तंगी थी, घर-घर जाकर साइकिल पर दूध बेचते थे, दोपहर में स्कूल वैन चलाकर परिवार पालते थे, प्रियम गलियों में क्रिकेट खेलते थे, एक दिन उन्होने पिता से स्टेडियम जाकर क्रिकेट खेलने की जिद की, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से पिता ने मना कर दिया, उन्होने कहा कि बेटे हम गरीब हैं, क्रिकेट का खर्च नहीं उठा सकते, पिता के मना करने पर भी प्रियम निराश नहीं हुए, वो गली क्रिकेट खेलते रहे, उनका क्रिकेट खेलना उस दिन सफल हुआ, जब उनके मामा की नजर उनकी बल्लेबाजी पर पड़ी, वो भांजे के शॉट्स देखकर इतने प्रभावित हुए, कि उनके पिता से स्टेडियम भेजने की सिफारिश की, 12 साल की उम्र में प्रियम मेरठ के विक्टोरिया स्टेडियम पहुंचे, रोजाना घर से बीस किमी दूर कंधे पर किट बैग लटकाये वो सफर करते थे, जल्द ही प्रियम ने अपनी बल्लेबाजी से का दिल जीत लिया, वो 12 साल की उम्र में अंडर-14 टीम के लिये चुने गये, जहां उन्होने दो दोहरे शतक लगाये, इसके बाद अंडर-16 में भी उन्होने दो दोहरे शतक लगाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।

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यूपी रणजी टीम में एंट्री
प्रियम को यूपी रणजी टीम में एंट्री मिली, उन्होने पहले ही सीजन में 11 मैचों में 800 से ज्यादा रन ठोंक दिये, उन्होने अपनी बल्लेबाजी से यूपी के कप्तान अक्षदीप नाथ को काफी प्रभावित किया, एक इंटरव्यू में कप्तान ने प्रियम को सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटरों में से एक बताया। अंडर 19 कप्तान बनने के बाद प्रियम ने कहा कि उनका लक्ष्य विश्वकप जीतना है, हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए उन्होने कहा कि मैं भारत को पांचवीं बार विश्वकप जीतना चाहता हूं, मेरे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है, एक अरब लोगों की आशा मेरे ऊपर है।

सचिन को देख क्रिकेटर बनें
युवा बल्लेबाज ने कहा कि मैं सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देख क्रिकेटर बना हूं, मैं जो कुछ भी हूं सचिन तेंदुलकर की वजह से हूं, मैं उनकी बल्लेबाजी नहीं देखता, तो कभी इतना आगे नहीं आ पाता, हर मैच से पहले मैं उनकी बल्लेबाजी को याद करता हूं, तो मुझे रन बनाने की ताकत मिलती है। मेरे घर पर टीवी नहीं था, तो मैं उनकी बल्लेबाजी पान की दुकान पर देखता था, इस वजह से कई बार मुझे पिता से डांट भी खानी पड़ी, मेरे पिता के लिये क्रिकेट से ज्यादा पढाई प्रमुख थी, हालांकि अब बेटे की सफलता को देख पिता भी गर्व कर रहे हैं।