Opinion – राशिद ने कपड़े उतार दिए

करतारपुर गलियारे की वजह से जो थोड़ा-बहुत सदभावना का माहौल बन रहा था, उसे भी राशिद ने चौपट कर दिया है।

New Delhi, Dec 03 : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने करतारपुर गलियारे के बारे में काफी सख्त प्रतिक्रिया कर दी है। उन्होंने यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के रेलमंत्री शेख राशिद के बयान पर की है। राशिद ने कह डाला कि करतारपुर गलियारा खोलने का विचार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का नहीं, बल्कि सेनापति जनरल कमर जावेद बाजवा का है। यह गलियारा भारत की कमर तोड़ देगा।

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जनरल बाजवा भारत को ऐसी मार लगाएंगे कि भारत हमेशा याद रखेगा। जाहिर है कि नरेंद्र मोदी, अमरिंदर सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और उन सभी लोगों को शेख राशिद के भाषण से कितनी तकलीफ पहुंची होगी, जो करतारपुर गलियारे के लिए इमरान खान को बधाइयां दे रहे थे। अमरिंदर ने कहा है कि राशिद के बयान ने पाकिस्तान के असली इरादे जाहिर कर दिए हैं। पाकिस्तानी फौज ने इमरान की शपथ के पहले ही इस गलियारे को खोलने का फैसला कर लिया था। बाजवा ने शपथ के दिन ही नवजोत सिंह सिद्धू को यह बता दिया था। मान लिया कि यह फौज का फैसला था लेकिन शेख राशिद को इसे सार्वजनिक करने की जरुरत क्यों पड़ गई ?

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इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि इमरान द्वारा बाजवा को दी गई तीन साल की अतिरिक्त अवधि को पाक सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। अब इस बयान से बाजवा की छवि चमकाने की कोशिश रही होगी। यह शेख राशिद का बेहद गैर-जिम्मेदाराना कदम है। इसे इमरान की हैटी तो हुई ही, बाजवा की छवि भी विकृत हुई। क्या भारत के नीति-निर्माताओं ने बाजवा के अदृश्य इरादों का अंदाज़ नहीं लगाया होगा ? जरुर लगाया है और कुछ पत्रकारों ने भी शंका प्रकट की थी। लेकिन राशिद ने अपनी ही सरकार के कपड़े उतार दिए हैं।

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करतारपुर गलियारे की वजह से जो थोड़ा-बहुत सदभावना का माहौल बन रहा था, उसे भी राशिद ने चौपट कर दिया है। करतारपुर की वजह से भारत के सिख 2020 में पंजाब के अलगाव की मांग करेंगे, यह ख्याली पुलाव है। राशिद के इस बयान के बाद पाकिस्तानी पंजाब को अपनी सुरक्षा की चिंता अब जरा ज्यादा करनी होगी। पाकिस्तान में इस समय जो आर्थिक संकट है और हुक्मरानों की प्रतिष्ठा जैसे नीचे चली गई है, उस समय ऐसे बयान देकर राशिद जैसे मंत्री पाकिस्तानी जनता की नजरों में भी अपने आप को नीचे गिरा रहे हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)