महाराष्ट्र: 4 दिन की सरकार में मतभेद के फूटे सुर, NCP प्रमुख के बयान में झलक रही ‘नाखुशी’
महाराष्ट्र सरकार में मतभेद के सुर फूटने लगे हैं । एक और शरद पवार ने कहा है कि उन्हें अजीत पवार के कदम के बारे में पता था तो वहीं उन्होने मौजूदा सरकार को लेकर गंभीर बात कही है ।
New Delhi, Dec 04: महाराष्ट्र में लंबे चले ड्रामे के बाद आखिरकार शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनी । लेकिन इस पूरे ड्रामे का नतीजा जिस गठबंधन के रूप में सामने आया क्या वो स्थिर है । क्या कैबिनेट को लेकर तीनों दल एक सुर में बात कर रहे हैं । शायद नहीं, मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं । धीरे – धीरे ही सही गठबंधन में बयानबाजी शुरू हो गई है । शरद पवार का एक बयान ऐसे ही सवाल उठा रहा है ।
शरद पवार के बयान में झलकी नाखुशी
तो क्या गठबंधन में अपनी स्थिति से शरद पवार नाखुश हैं । दरअसल ये सवाल इसलिए उठा है क्योंकि सरकार में डिप्टी सीएम एनसीपी का बनना तय है और इस पद से पवार कोई खास खुश नजर नहीं आ रहे हैं । एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मंत्रालयों के बंटवारे पर बयान देकर मामले को नया ट्विस्ट दे दिया है । उन्होने आज तक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि एनसीपी के पास डिप्टी सीएम है, जिसके पास कोई अधिकार नहीं होता ।
एनसीपी ही है किंगमेकर
वर्तमान महाराष्ट्र सरकार में एनसीपी ही एक दल है जो किंगमेकर की भूमिका में है । ना तो शिवसेना और ना ही कांग्रेस अकेले कोई दम खम रखते हैं । आपको बता दें तीनों दलों के बीच सरकार चलाने के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया गया है, लेकिन मंत्रालयों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका है । अब तक सिर्फ उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है, जबकि उनके साथ तीनों दलों के दो-दो मंत्रियों ने शपथ ली थी ।
गठबंधन के तहत NCP से होगा डिप्टी सीएम
गठबंधन फॉर्मूले के तहत एनसीपी से डिप्टी सीएम बनाया जाएगा । लेकिन अब तक इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं हुई है । वहीं उद्धव कैबिनेट का विस्तार भी अब तक नहीं हो सका है । खबर तो ये भी है मंत्रालयों को लेकर अभी तक अंतिम सहमति नहीं बन पाई है । शरद पवार ने इस मुद्दे पर पूछे सवाल पर शिवसेना और कांग्रेस के पाले में गेंद डाल दी । उन्होने कहा कि मंत्रालय को लेकर उनकी पार्टी एनसीपी और शिवसेना के बीच कोई झगड़ा नहीं है । यह कांग्रेस और एनसीपी के बीच है ।
पवार ने कहा हम पॉवरफुल लेकिन पद ‘पॉवरलेस’
शरद पवार ने कहा कि एनसीपी के पास शिवसेना से दो सीटें कम हैं, जबकि कांग्रेस से 10 सीटें ज्यादा हैं । ऐसे में शिवसेना के पास मुख्यमंत्री है जबकि कांग्रेस के पास स्पीकर है । लेकिन मेरी पार्टी को क्या मिला । डिप्टी सीएम के पास कोई अधिकार नहीं होता । जाहिर है पवार के इस बयान के बाद रोटेशनल सीएम पर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो सकता है, क्योंकि गठबंधन वाली संयुक्त सरकार बनने के दौरान यह चर्चा भी थी कि एनसीपी ढाई-ढाई साल रोटेशनल सीएम चाहती है ।