2 रुपये में रोटी, 5 में दाल, 17 में फिश करी… मोदी सरकार का बड़ा फैसला, सांसदों को नहीं मिलेगा सस्ता खाना

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सभी पार्टियों ने मिलकर ये फैसला लिया है, कि संसद भवन के कैंटीन में मिलने वाले खाने पर सब्सिडी खत्म की जाए।

New Delhi, Dec 05 : महंगाई के मुद्दे पर इन दिनों सरकार विपक्ष के निशाने पर है, संसद में रोजाना फलों-सब्जियों से लेकर दूसरी चीजों की बढती कीमतों को लेकर सवाल पूछा जा रहा है, इन सबके बीच देश की संसद में सांसदों, आगंतुकों और पत्रकारों के लिये बनी कैंटीन पर बड़ा फैसला लिया गया है, अब संसद की कैंटीन में सब्सिडी नहीं मिलेगी, यानी यहां भी सस्ता भोजन और दूसरी चीजें नहीं मिलेगी, इस पर सरकार और विपक्ष ने मिलकर फैसला लिया है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार सलाना 17 करोड़ रुपये संसद की कैंटीन में बतौर सब्सिडी देती थी।

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सबने मिलकर लिया फैसला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सभी पार्टियों ने मिलकर ये फैसला लिया है, कि संसद भवन के कैंटीन में मिलने वाले खाने पर सब्सिडी खत्म की जाए, इस फैसले के बाद अब कैंटीन में खाने के दाम लागत के हिसाब से तय किये जाएंगे, पिछली लोकसभा में भी कैंटीन के खाने के दाम बढाये गये थे, ताकि सब्सिडी का बिल कम किया जा सके, अब इसे पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

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ज्यादा आगंतुक खाते हैं खाना
आपको बता दें कि संसद की कैंटीन में ज्यादा संख्या में सांसदों और मंत्रियों से मिलने आने वाले लोग इस कैंटीन का फायदा उठाते थे, संसद परिसर में सांसदों और पत्रकारों के लिये एक कैंटीन आरक्षित है, आंकड़ों के मुताबिक संसद सत्र के दौरान सिर्फ 9 फीसदी सांसद ही कैंटीन में भोजन करते हैं या दूसरी चीजों का स्वाद लेते हैं, इसके अलावा 3 फीसदी पत्रकार इसका फायदा उठाते हैं, बाकी 88 फीसदी लोग सांसद के साथ रहने वाले या आगंतुक इसका लाभ उठाते थे।

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सब्सिडी पर कितना खर्च
सूचना के अधिकार के तहत दिये गये ब्योरे के अनुसार साल 2012-13 से 2016-17 तक संसद कैंटीन को कुल 73 करोड़ रुपये बतौर सब्सिडी दी गई, अगर बीते पांच साल की स्थिति पर गौर करें, तो पता चलता है कि साल 2012-13 में सांसदों के सस्ते भोजन पर 12 करोड़ रुपये खर्च किये गये, जो अब बढकर करीब 17 करोड़ के आस-पास पहुंच चुका था।

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