भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की साज़िश रच रही है कांग्रेस

नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत ही इसलिए पड़ी, क्योंकि उन तीनों इस्लामिक देशों में हिंदुओं और ईसाइयों समेत तमाम अल्पसंख्यकों पर तरह तरह के ज़ुल्म किये गए और उनके धर्मों को ध्वस्त किया गया।

New Delhi, Dec 11 : कांग्रेस पर मेरा सीधा-सीधा आरोप है कि वह भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना चाहती है। पहले उसने धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार कर पाकिस्तान बनने दिया। अब वह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के इस्लामिक घुसपैठियों को भारत में बसाकर भारत को भी एक अधिक बड़ा और अधिक खतरनाक पाकिस्तान बना देना चाहती है।

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नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत ही इसलिए पड़ी, क्योंकि उन तीनों इस्लामिक देशों में हिंदुओं और ईसाइयों समेत तमाम अल्पसंख्यकों पर तरह तरह के ज़ुल्म किये गए और उनके धर्मों को ध्वस्त किया गया। इसलिए इस बिल का सम्बंध तीन देशों में मुसलमानों द्वारा किये गए अत्याचार से है, न कि भारत के मुसलमानों पर किसी को कोई अत्याचार करना है।
राजनीति की माया देखिए कि जिस बिल का संबंध मुसलमानों के अत्याचार से है, उसे मुसलमानों पर अत्याचार बताकर पेश किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय मुसलमानों से किसी को विरोध है ही नहीं। हाँ, इतना ज़रूर है कि भारत की डेमोग्राफी बिगाड़ कर कालांतर में भारत को भी इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कांग्रेस की मंशा को बेनकाब करना होगा।

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हम भारत को अगर हिन्दू राष्ट्र नहीं बनाना चाहते, तो यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अगले 50 या 100 साल में भारत इस्लामिक राष्ट्र भी नहीं बनने पाए। और इसकी वजह मुसलमानों से नफ़रत नहीं, बल्कि मुसलमानों की अपने धर्म के प्रति कट्टरता और दूसरे समुदायों के प्रति नफरत है।
आज भारत हिन्दूबहुल धर्मनिरपेक्ष देश है, तो इस्लाम के सताए पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक यहाँ शरण ले सकते हैं। लेकिन अगर कल को भारत भी मुस्लिम बहुल इस्लामिक देश बन जाएगा, तो आज के बहुसंख्यक कल को अल्पसंख्यक बन जाने के बाद कहाँ जाएंगे? इतना बड़ा भारत था, तो कश्मीर से सताए गए साढे तीन लाख हिंदू, जिन्हें कश्मीरी पंडित कहा जाता है, भागकर इधर आ गए। अगर भारत इस स्वरूप में नहीं होता, तो कहाँ जाते?

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इस्लाम की साम्राज्यवादी सोच से न केवल भारत के बहुसंख्यक, बल्कि पूरी दुनिया के अन्य धर्मावलंबी भी डरे हुए हैं। हिंसा के ज़ोर से महज़ 1400 साल में दुनिया की एक चौथाई आबादी और 50 से ज़्यादा देशों पर कब्जा कर चुके इस्लाम से कौन नहीं डरेगा? खासकर तब जब कि आज भी पूरी दुनिया में पसरे हुए 90% आतंकवाद का सम्बंध इस्लाम से है और ज़्यादातर इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित नहीं हैं। धर्मनिरपेक्षता के विचार को जहां अन्य सभी धर्मों ने अपनाया है, इस्लाम ने आज तक नहीं अपनाया और न ऐसे लक्षण दिख रहे हैं कि वह अपना सकता है।
ऐसी परिस्थितियों में इस्लाम से डरना होगा। जो आज नहीं डरेगा, उसे आज नहीं तो सौ-पचास साल बाद ज़रूर मरना होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भी या तो मरना पड़ा या इस्लाम में कन्वर्ट होना पड़ा। अब केवल बचे-खुचे लोगों को बचाने की कोशिश ही नागरिकता संशोधन विधेयक है।

इसलिए नागरिकता संशोधन विधेयक को मेरा पूर्ण समर्थन। एक कॉमा और फुल स्टॉप का भी परिवर्तन मैं नहीं कराना चाहता। हिंदुओं और मुसलमानों को मैं भारत माता की दो आंखें कहता हूं, इससे मेरी मंशा स्पष्ट है, लेकिन मुझे दोनों आंखों की सुरक्षा भी चाहिए। एक आंख से मैं अधिक और दूसरी आंख से कम प्यार नहीं कर सकता। मैं एक आंख को बचाऊंगा, लेकिन दूसरी आंख को भी फूटने नहीं दूंगा।
इसलिए अगर मैं भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के पक्ष में नहीं हूं, तो कालांतर में इसके इस्लामिक राष्ट्र बनने की संभावनाएं भी नहीं पनपने दूंगा। शुक्रिया।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)