प्रशांत किशोर के निशाने पर फिर से नीतीश कुमार, CAB को लेकर सुनाई खरी-खरी, पूछा ये सवाल
अब वक्त आ गया है कि बाकी मुख्यमंत्री इस पर अपना रुख साफ करें।’ प्रशांत इससे पहले भी संसद के दोनों सदनों में विधेयक का समर्थन करने पर जेडीयू को आड़े हाथ ले चुके हैं ।
New Delhi, Dec 13: नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जेडीयू दो फाड़ हो चुकी है । पार्टी विधायक और थिंक टैंक माने जाने वाले प्रशांत किशोर लगातार नीतीश सरकार से बिल पर जवाब मांग रहे हैं । किशोर की बातों से साफ है कि वो पार्टी स्टैंड से अलग राय रखते हैं । उन्होने एक बार फिर अपने ट्वीट के जरिए बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख को निशाने पर लिया है, उन्होने कैब पर सरकार का पक्ष साफ करने की बात कही है । इशारों में ही सही लेकिन किशोर के ट्वीट ये स्पष्ट कर रहे हैं कि वो बिल के समर्थन में नहीं है और जेडीयू को भी अपना पक्ष साफ करना होगा ।
नागरिकता बिल हुआ पास
मोदी सरकार के नागरिका संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब यह कानून की शक्ल में आ गया है । लेकिन अब भी कुछ राज्य इस बिल के विरोध में खड़े हैं । बिल को लेकर जेडीयू में अंदरूनी तौर पर हलचल साफ नजर आ रही है । प्रशांत किशोर ने एक बार फिर ट्वीट के जरिए अपनी बात कही है । उन्होने लिखा है – ‘संसद में बहुमत साबित हो चुका है। न्यायपालिका से इतर देश की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी अब 16 गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है। ये वे राज्य हैं, जिन्हें इन कानूनों को लागू करना है।’
नीतीश पर हमला
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार का नाम ना लेते हुए इशारों में ही उन पर बड़ा हमला करते हुए आगे लिखा है – ‘तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी का विरोध किया है। अब वक्त आ गया है कि बाकी मुख्यमंत्री इस पर अपना रुख साफ करें।’ प्रशांत इससे पहले भी संसद के दोनों सदनों में विधेयक का समर्थन करने पर जेडीयू को आड़े हाथ ले चुके हैं ।
The majority prevailed in Parliament. Now beyond judiciary, the task of saving the soul of India is on 16 Non-BJP CMs as it is the states who have to operationalise these acts.
3 CMs (Punjab/Kerala/WB) have said NO to #CAB and #NRC. Time for others to make their stand clear.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 13, 2019
ट्वीट में कही थी ऐसी बात
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर बिल पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा था – ‘हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) नागरिकता प्रदान करने के लिए है और यह किसी से नागरिकता छीनेगा नहीं। हालांकि सच यह है कि यह एनआरसी के साथ मिलकर धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में एक घातक हथियार देगा।’ प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था। पीके ने कहा कि कैब का समर्थन करते हुए जेडीयू नेतृत्व को एक पल के वास्ते उन सभी के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था।
Disappointed to see JDU supporting #CAB that discriminates right of citizenship on the basis of religion.
It's incongruous with the party's constitution that carries the word secular thrice on the very first page and the leadership that is supposedly guided by Gandhian ideals.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 9, 2019
While supporting #CAB, the JDU leadership should spare a moment for all those who reposed their faith and trust in it in 2015.
We must not forget that but for the victory of 2015, the party and its managers wouldn’t have been left with much to cut any deal with anyone.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 11, 2019
We are told that #CAB is bill to grant citizenship and not to take it from anyone. But the truth is together with #NRC, it could turn into a lethal combo in the hands of Government to systematically discriminate and even prosecute people based on religion.#NotGivingUp
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 12, 2019