JDU से खटपट के बीच प्रशांत किशोर को लेकर बड़ी खबर, दिल्‍ली में मिला लिया इस पार्टी से हाथ

नागरिकता बिल को लेकर प्रशांत किशोर की नाराजगी सबके सामने हैं, लेकिन इस बीच एक बड़ी खबर ने सका ध्‍यान अपनी ओ खींच लिया है । पीके ने एक नए दल से हाथ मिला लिया है ।

New Delhi, Dec 14: मोदी सरकार के नागरिकता बिल को लेकर बिहार में प्रशांत किशोर अपने ही दल जेडीयू से नाराज चल रहे हैं । पीके ने खुलकर बागी तेवर नीतीश कुमार को दिखा दिए हैं । लेकिन ये खबर इसके बारे में नहीं है, खबर है दिल्‍ली की सियासत में पीके की एंट्री को लेकर । जी हां दिल्ली में आम आदमी पार्टी को प्रशांत किशोर का साथ मिलने की खबर आ रही है । चुनावी रणनीति में माहिर प्रशांत किशोर अब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की नैया पार लगाने के लिए काम करते नजर आ सकते हैं ।

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केजरीवाल ने किया ट्वीट
दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रशांत किशोर के पार्टी के लिए काम करने की जानकारी सोशल मीडिया पर दी । अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को ट्वीट कर इस बारे में बताया । आपको बता दें I-PAC प्रशांत किशोर की एजेंसी है । यह एजेंसी औपचारिक रूप से राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार करती है ।

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आम आदमी पार्टी के लिए काम करेंगे पीके
आने वाले कुछ समय में ही दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं । केजरीवाल के ट्वीट के  मुताबिक प्रशांत किशोर की एजेंसी आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगी । जानकारी मिली है कि प्रशांत किशोर और अरविंद केजरीवाल के बीच इस सिलसिले में लंबे समय से बातचीत चल रही थी । 2014 में मोदी लहर के पीछे एक बड़ी वजह प्रशांत किशोर की रणनीति थी, इसके बाद से ही उनकी मांग राजनीतिक दलों में बराबर रूप से बनी रही । पीके शिवसेना और जेडीयू के साथ कांग्रेस के लिए भी काम कर चुके हैं ।

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जेडीयू से नाराज हैं प्रशांत
केजरीवाल के साथ काम करने का फैसला प्रशांत किशोर ने उस समय लिया है जब बिहार में उनकी अपनी ही पार्टी से नहीं बन रही है । नागरिकता बिल पर प्रशांत किशोर जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के रुख से खुश नहीं हैं । जेडीयू ने लोकसभा में बिल को अपना समर्थन दिया है । उन्होंने अपनी पार्टी के रुख के खिलाफ जाते हुए ट्वीट किया, “बहुमत से संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया । न्यायपालिका के अलावा अब 16 गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी है, क्योंकि ये ऐसे राज्य हैं, जहां इसे लागू करना है।” प्रशांत किशोर ने आगे लिखा, “तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएबी और एनआरसी को नकार दिया है और अब दूसरे राज्यों को अपना रुख स्पष्ट करने का समय आ गया है।”