निर्भया केस का वो अहम सबूत, जिसने युवती को दिलाया इंसाफ, पढिये उस रात की पूरी कहानी

घटना के बाद जब पुलिस को जानकारी मिली, तो तीन अहम चीजें जांच के दौरान सामने आई, पहली सफेद रंग बस, दूसरी बस पर यादव लिखा था, और तीसरी बस में ड्राइविंग सीट पर भगवान शिव की मूर्ति लगी थी।

New Delhi, Dec 15 : 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की सड़क पर चलती बस में निर्भया नाम की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और निर्ममता हुई, वही बस और उसके भीतर मिले सबूत बाद में जांच के दौरान इस मामले की अहम कड़ी साबित हुए थे, निर्भया के आरोपियों को सजा दिलाने में इस बस की बड़ी भूमिका है, आज जब निर्भया के दोषियों को फांसी देने की चर्चा हो रही है, तो हम आपको इस बस की पूरी कहानी बताते हैं, अभी कहां और किस हालत में है ये बस, पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाली इस घटना की महत्वपूर्ण कड़ी रही ये बस आजकल कंडम हालत में दिल्ली के सागरपुर इलाके में खड़ी है।

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क्या हुआ था उस रात
16 दिसंबर की उस रात सफेद रंग की ये बस नंबर 0149 रविदास कैंप में रोजाना की तरह खड़ी थी, ड्राइवर राम सिंह अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहा था, तभी उनकी शराब खत्म हो गई और उनके पास शराब खरीदने के लिये पैसे भी नहीं थे, जिसके बाद राम सिंह ने प्लान बनाया और उसके साथ मुकेश, अक्षय, पवन, विनय और एक नाबालिग भी थे, सभी लोग बस को लेकर रविदास कैंप आरके पुरम से निकलते हैं, आरके पुरम में बस में सीएनजी डलवाई जाती है, फिर अफ्रीका एवेन्यू होते हुए ये बस आईआईटी फ्लाईओवर पुलिस कॉलोनी के पास पहुंचती है, जहां एक शख्स रामाधार हाथ देकर बस रुकवा कर उसमें सवार होता है, उसके बाद ये आरोपी लूटपाट कर उस शख्स को बस से उतार देते हैं, फिर बस आगे बढती हुई हौजखास गोल्डन ड्रेगन रेस्टोरेंट की लालबत्ती से यू-टर्न लेकर मुनिरका बस स्टैंड पर पहुंचती है।

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निर्भया और दोस्त हुए सवार
मुनिरका बस स्टैंड के पास निर्भया और उसका दोस्त खड़े थे, बस से नाबालिग आवाज लगा रहा था, पालम, नजफगढ, द्वारका, जिसके बाद लड़की और उसका दोस्त पालम जाने का किराया पूछकर बस में चढ जाते हैं, बस में ड्राइवर केविन था, और ड्राइविंग सीट पर भगवान शिव की मूर्ति लगी थी, बस में मैरुन कलर के पर्दे लगे थे, निर्भया और उसका दोस्त बायीं ओर कंडक्टर की सीट के पीछे दूसरी पंक्ति की सीट पर बैठते हैं, पैसे लेते समय आरोपी ने निर्भया पर बुरी नजर डाली, जिस पर उसके दोस्त ने विरोध किया, तो सबने मिलकर उसकी पिटाई शुरु कर दी, निर्भया का दोस्त बस की सीट के नीचे छुप गया, फिर निर्भया के साथ बारी-बारी से सभी ने हैवानियत की, इस दौरान बस महिपालपुर से यू-टर्न लेते हुए दिल्ली कैंट के बाद पालम फ्लाईओवर होते हुए फिर यूटर्न लेकर रंगपुरी के रास्ते पर पहुंच गई, जहां महिपालपुर में युवती और उसके दोस्त को आरोपियों ने नीचे पेंक दिया, आरोपियों ने दोनों पर बस भी चढाने की कोशिश की, लेकिन दोनों किसी तरह बच गये, वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी बस लेकर रविदास कैंप पहुंच गये, जहां सभी ने अपने और निर्भया तथा उसके दोस्त के कपड़े जलाये, बाकी बचे कपड़े जमीन में गाड़ दिये और बस को धो दिया, ताकि कोई सबूत ना मिले।

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जांच की तीन अहम चीजें
घटना के बाद जब पुलिस को जानकारी मिली, तो तीन अहम चीजें जांच के दौरान सामने आई, पहली सफेद रंग बस, दूसरी बस पर यादव लिखा था, और तीसरी बस में ड्राइविंग सीट पर भगवान शिव की मूर्ति लगी थी, मूर्ति को आरोपियों में से किसी ने घटना के बाद बस से हटा दिया था, सीसीटीवी से भी कुछ अहम सुराग मिले थे, लेकिन बस का नंबर नहीं मिला था, केस से जुड़े तत्कालीन कोटला मुबारकपुर थाने के एसएचओ नरेश सोलंकी को एक अहम लीड मिली, उन्हें मुखबिर ने पालम इलाके से फोन कर बताया कि यादव ट्रेवल्स की एक बस रोजाना रात आरके पुरम रविदास कैंप में आकर खड़ी होती है, घटना के अगली ही दिन यानी 17 दिसंबर को नरेश सोलंकी, इंस्पेक्टर वेद प्रकाश और केस की महिला आईओ प्रतिभा तथा बाकी स्टाफ ने मुख्य आरोपी राम सिंह को रविदास कैंप से शाम 4 बजे धर दबोचा, पहली गिरफ्तारी के साथ-साथ बस भी बरामद हो गई।

बस से सबूत मिले
इसके बाद इंस्पेक्टर वेद प्रकाश फॉरेंसिक टीम के साथ जांच करने के लिये बस को लेकर त्यागराज स्टेडियम पहुंचे, जहां बस से निर्भया के बाल, शरीर के मांस के कुछ टुकड़े और खून के नमूने बरामद हुए, जिस लोहे की रॉड से निर्भया को पीटा गया था, वो भी पुलिस ने खोज निकाली, बस की सीट पर खून के निशान मिले थे, दरअसल ये बस एक स्कूल के लिये चार्टर्ड बस का काम करती थी, सुबह 7 बजे बच्चों को स्कूल छोड़ती थी, फिर 9 बजे के आस-पास कंपनी के कर्मचारियों को आरके पुरम से नोएडा छोड़ने जाती थी, दोपहर 1 बजे के आस-पास बच्चों को स्कूल से घर छोड़कर शाम 6 बजे नोएडा से कंपनी के कर्मचारियों को वापस आरके पुरम छोड़ती थी, फिलहाल ये बस कंडम हालत में दिल्ली के सागरपुर में खड़ी है।