केजरीवाल और प्रशांत किशोर का हाथ मिलाना, नजर में दिल्ली लेकिन निशाना कहीं और है
केजरीवाल और आप के दूसरे नेता ये दावा करते हैं कि बीते 5 साल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में जितने और जिस तरह के काम किये हैं, उसके बाद उन्हें कोई शक नहीं कि दिल्ली चुनाव वो जीतने जा रहे हैं।
New Delhi, Dec 15 : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिये आप मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने देश के पेशेवर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से हाथ मिला लिया है, यानी दिल्ली चुनाव में पीके आप के लिये रणनीति बनाएंगे, आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया है कि प्रशांत किशोर वॉलिटियर यानी स्वैच्छिक रुप से पार्टी का प्रचार करेंगे, इसका सीधा मतलब ये है कि आप और पीके के बीच कोई आर्थिक डील नहीं हुई है।
आश्वस्त नहीं केजरीवाल
केजरीवाल और आप के दूसरे नेता ये दावा करते हैं कि बीते 5 साल में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में जितने और जिस तरह के काम किये हैं, उसके बाद उन्हें कोई शक नहीं कि दिल्ली चुनाव वो जीतने जा रहे हैं, ये सिर्फ कहने की बात नहीं है, बल्कि सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बॉडी लैंग्वेज और आत्मविश्वास को देखकर ये लगता है कि ये सिर्फ कहने के लिये नहीं बल्कि वो खुद भी भीतर से आश्वस्त हैं।
ऐसे में दो सवाल उठते हैं, पहला सवाल ये कि पीके प्रोफेशनल रणनीतिकार हैं, उनकी एजेंसी आईपैक अपने क्लाइंट के लिये पैसे लेकर प्रचार करती है, तो आप के लिये स्वैच्छित प्रचार क्यों करेगी। दूसरा सवाल ये कि जब आम आदमी पार्टी आश्वस्त है, कि केजरीवाल सरकार फिर से सत्ता में आ रही है, तो फिर उन्हें भाड़े के कमांडर की क्यों जरुरत पड़ गई।
एक से भले दो
आप सूत्रों का दावा है कि वैसे तो केजरीवाल पूरी तरह से आश्वस्त हैं, कि दिल्ली की जनता विधानसभा चुनाव में आप को भारी बहुमत देगी, जिससे केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के सीएम बनेंगे, लेकिन अगर विरोधी बीजेपी से लड़ाई के लिये पीके जैसे शानदार रिकॉर्ड वाला कोई व्यक्ति जुड़ जाए, तो फिर एक से भले दो तो अच्छा ही है, पीके ने 2014 में मोदी, 2015 में नीतीश कुमार और 2017 में पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, 2019 में आंध्र प्रदेश में जगन मोहन के लिये रणनीति की जिम्मेदारी संभाली है, 2017 में यूपी कांग्रेस के लिये छोड़कर उनका रिकॉर्ड शानदार रहा है।
सिर्फ दिल्ली दिल्ली नहीं
इसका एक मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की मंजिल सिर्फ दिल्ली नहीं है, बेशक आप दिल्ली में सिमटती दिख रही है, लेकिन केजरीवाल की चाहत है कि वो दिल्ली से बाहर भी निकले, दिल्ली से बाहर फैलने के लिये केजरीवाल भरपूर कोशिश कर चुके हैं, लेकिन 2017 में पंजाब में अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जिसके बाद उन्होने दिल्ली पर ही फोकस करना शुरु किया। लेकिन अब कहा जा रहा है कि पीके के केजरीवाल के साथ आने से दिल्ली के बाद वो देश भर की राजनीति में अपनी दखल बढाना चाहते हैं।