Opinion – अदालतों में CISF की तैनाती की सुप्रीम कोर्ट की सलाह उचित

कहीं विचाराधीन कैदी की हत्या हो जाती है तो कहीं गवाह की। कहीं -कहीं हाजतों से कैदी भगा लिए जाते हैं।

New Delhi, Jan 13 : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह देश की अदालतों की सुरक्षा के लिए वहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल तैनात करने की व्यवस्था करे। दिल्ली की एक अदालत में गत नवंबर में भारी उपद्रव हुआ था। पुलिस और वकील आमने-सामने थे।

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उसी घटना को ध्यान में रखते हुए सबसे बड़ी अदालत को ऐसी सलाह देनी पड़ी है। घटना दिल्ली की तीस हजारी अदालत में हुई थी। खैर तीस हजारी कोर्ट जैसी घटना तो बहुत कम ही होती है। पर इस देश की अनेक अदालत परिसरों से हिंसा की खबरें आती रहती हैं।

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बिहार भी इस मामले में पीछे नहीं है। कहीं विचाराधीन कैदी की हत्या हो जाती है तो कहीं गवाह की। कहीं -कहीं हाजतों से कैदी भगा लिए जाते हैं। कहीं -कहीं तो सरेआम गवाहों को धमकाया जाता है। ऐसी घटनाओं में आम तौर पर स्थानीय पुलिस की साठगांठ या कमजोरी पाई जाती है।

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ऐसे में न्याय का शासन कायम करने में दिक्कतें आती हैं। याद रहे कि सी.आई.एस.एफ.की ट्रेनिंग कुछ खास तरह की होती है। उस बल के बारे में सुप्रीम कोर्ट का यह आकलन सही है
कि सी.आई.एस.एफ विपरीत परिस्थितियों में बेहतर काम कर सकता है।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)