ड्रग्स बेची, आतंकियों से संबंध के आरोप, लेकिन इस वजह से बचता रहा DSP देवेन्द्र सिंह
सवाल ये उठ रहा है कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अधिकारी आखिर अपना ईमान बेचने को तैयार कैसे हो गया।
New Delhi, Jan 14 : जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से गिरफ्तार डीएसपी देवेन्द्र सिंह को लेकर नये-नये खुलासे हो रहे हैं, बताया जा रहा है कि सुरक्षा एजेंसियों ने कई बार आगाह किया था, लेकिन कभी किस्मत तो कभी लापरवाही की वजह से देवेन्द्र सिंह बार-बार बचता रहा, लेकिन 11 जनवरी की सुबह जब वो श्रीनगर से अपने आई-10 कार से निकला, तो उसका गुडलक खत्म हो चुका था, जवाहर टनल से पहले पुलिस ने डीएसपी को दो टॉप आतंकियों के साथ गिरफ्तार किया।
ईमान बेचने को तैयार
सवाल ये उठ रहा है कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अधिकारी आखिर अपना ईमान बेचने को तैयार कैसे हो गया, सूत्रों का दावा है कि इसके पीछे वजह सिर्फ पैसा है। दरअसल पुलवामा के रहने वाला देवेन्द्र सिंह 1990 में सब इंस्पेक्टर के तौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुआ था, उसके करियर में कई बार विवाद आये, उसके खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस को आगाह भी किया गया, लेकिन हर बार वो बचता रहा, सूत्र का दावा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ने में व्यस्त जम्मू-कश्मीर पुलिस बार-बार इन चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया।
शानदार ट्रैक रिकॉर्ड
डीएसीपी के करियर का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड भी उसे बार-बार कार्रवाई से बचाता रहा, सूत्र ने बताया कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान में उसका काम जोरदार रहा था, कई बार जांच हुई, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया, सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने साल 1990 के उस दौर को याद करते हुए बताया जब देवेन्द्र सिंह उत्तरी कश्मीर के सोपोर में आतंकियों के खिलाफ बड़ी बहादुरी से लड़ा था।
घायल हुआ, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन
1990 के दशक में देवेन्द्र दस साल तक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के साथ काम करता रहा, इस दौरान उसने सम्मान और ईष्या दोनों कमाये, देवेन्द्र को उसके काम के लिये आउट ऑफ प्रमोशन दिया गया था, उसे इंस्पेक्टर बना दिया गया, आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान बडगाम में देवेन्द्र सिंह घायल भी हो गया था। एक बार देवेन्द्र एक ड्रग के सौदागर को अवैध तरीके से नशीली दवा बेचता पकड़ा गया था, जिसके खिलाफ जांच भी हुई, देवेन्द्र के खिलाफ रंगदारी के आरोप भी लगे, एक और घटना जिस से देवेन्द्र चर्चा में रहा, उसने लकड़ियों से भरे ट्रक को अगवा कर लिया, बाद में पता चला कि ये ट्रक पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम मोईद्दीन शाह के एक रिश्तेदार की थी।
अफजल गुरु से लिंक
डीएसपी देवेन्द्र सिंह का आतंकवाद के साथ पहला लिंक तब सामने आया था, जब संसद हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु ने अपने लेटर में अपने वकील को लिखा था कि देवेन्द्र सिंह ने उसे एक आतंकी को दिल्ली लाने को कहा था, यहां पर उसके लिये रहने की व्यवस्था करने को कहा था, ये आतंकी जैश का वही सदस्य था, जो संसद हमले के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारा गया था, हालांकि अफजल के लेटर में नाम होने के बावजूद देवेन्द्र सिंह से पूछताछ तक नहीं की गई।