Opinion – दिल्ली में कांग्रेस लड़ती तो भाजपा बढ़ती

संविधान और देश तो कांग्रेस बचा कर ही मानेगी। चुनाव वगैरह बहुत छोटी चीज़ है।

New Delhi, Jan 15 : दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस लड़ाई में आती है तो आप फंसेगी , भाजपा निकलेगी। कांग्रेस के लड़ाई में न रहने का मतलब है , आप का झंडा फहरा देना। फ़िलहाल का मंज़र यह है कि कांग्रेस लड़ाई में नहीं है। और तो और खाता खुल जाए कांग्रेस का तो यही ग़नीमत है। सो आप ही आप। भाजपा भी रजाई में दुबकी पड़ी है। मतलब भाजपा और कांग्रेस दोनों साफ़। क्या कहा खाता ? हां , भाजपा का खाता तो खुलेगा। लेकिन बिना कांग्रेस से लड़ाई के भाजपा कुछ नहीं। कांग्रेस लड़ती तो भाजपा बढ़ती। यह बात शायद कांग्रेस को भी मालूम हो गई है।

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सो कांग्रेस दिल्ली विधानसभा नहीं , संविधान बचाने के लिए लड़ रही है। नागरिकता बिल के नाम पर हिंदू-मुसलमान में लड़ रही है। मुसलमानों को भड़का कर देश से लड़वा रही है। मणिशंकर पाकिस्तान के लाहौर में यह बता कर लौटे हैं कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनने से बचाने के लिए क्रांति शुरू हो गई है। तो कांग्रेस चुनाव छोड़ क्रांति कर रही है।

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देश , संविधान और सेक्यूलरिज्म बचा रहेगा तो कांग्रेस कभी चुनाव भी लड़ लेगी। अभी तो कांग्रेस वामपंथी दलों के विद्यार्थियों के साथ मिल कर जामिया मिलिया और जे एन यू में क्रांति का तड़का लगाने में व्यस्त है।

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व्यस्त है शाहीन बाग़ की क्रांति की मशाल जलाने में। दीपिका पादुकोण की छपाक को टैक्स फ्री करने और जहां भी कहीं फटा दिखे , वहां उंगली फंसाने में न्यस्त है कांग्रेस। ममता बनर्जी , केजरीवाल आदि-इत्यादि जैसे लोग उस की इस क्रांति में नाखून कटवा कर शहीद बनने की ज़रूरत नहीं समझते तो न समझें , अपनी बला से ! संविधान और देश तो कांग्रेस बचा कर ही मानेगी। चुनाव वगैरह बहुत छोटी चीज़ है।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)