दीपिका के छपाक का अंजाम सबके सामने है, इसलिये दिल्ली चुनाव की तस्वीर अभी साफ नहीं है

जनता जनार्दन का ऊंट मतदान के समय किस करवट बैठेगा , बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित आंख बा कर टो रहे हैं।

New Delhi, Jan 29 : जो भी हो शाहीन बाग़ का दांव तो उलटा पड़ गया है। तिस पर शरजिल ईमाम का तड़का बहुत भारी पड़ गया है। ले के रहेंगे आज़ादी की जुगाली ने जंग में जंग लगा दिया है। जेहादियों को लग रहा है कि चिकन नेक की बात कर उन्हों ने आसाम से शुरू हुई अपनी जंग को आसाम के मुद्दे पर ही हार का करार कर लिया है।

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दूसरी तरफ जामिया मिलिया में अरविंद केजरीवाल द्वारा लगवाई आग शाहीन बाग़ के मजमे में आ कर जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में शोला बननी थी , शिकन बन गई है। सर्वे में मिली बढ़त शाहीन बाग़ की बाढ़ में विलीन न हो जाए यह डर भी बहुत है कि झाड़ू , झंडू बाम न बन जाए। तिस पर इस बार अभी तक अरविंद केजरीवाल को कोई थप्पड़ भी नहीं मिला है।

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न रोशनाई आदि का ड्रामा हुआ है। जनता जनार्दन का ऊंट मतदान के समय किस करवट बैठेगा , बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित आंख बा कर टो रहे हैं। लेकिन टो नहीं पा रहे हैं। ई चिकन नेक और शरजिल ईमाम के छूछीया फायर ने सारा गणित बिगाड़ दिया है। दिल्ली के शाहीन बाग़ की बिरियानी और लखनऊ के घंटा घर की रूदाद से जो रंग जमना था , नहीं जमा।

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उलटे बांस बरेली जाता दिख रहा है। सारा पैसा , सारी रणनीति , मुस्लिम ध्रुवीकरण तक आ कर ठहर गई है। सिखों का लंगर , जैनियों का समर्थन आदि सोशल मीडिया की शोशेबाजी तक ही सीमित रह गई। ज़मीनी स्तर पर बात नहीं दिखी। फिर किसी चुनाव में मुस्लिम ध्रुवीकरण का अंजाम 2014 से कुछ और हो गया है। दीपिका पादुकोण की छपाक का जे एन यू अंजाम भी सब के सामने है। जो भी हो तस्वीर बहुत साफ़ नहीं है।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)