Opinion – गया राम को आया राम बनने में वक्त लगेगा

इस चुनाव के दौरान एक सत्कार्य केजरीवाल ने अवश्य कर दिखाया| कांग्रेस की अंत्येष्टि का सामान जमा करा दिया।

New Delhi, Feb 13 : उनके कई साथियों ने अरविन्द केजरीवाल को बधाइयों की बाढ़ से आप्लावित कर दिया| इनमें कांग्रेसी, सोशलिस्ट, नक्सली, सेक्युलर, गंगाजमुनी और वामी शामिल हैं| बड़ी संख्या में इस्लामीजन खास हैं| महाबली भाजपा को पराजित करने वाला यह पूर्व इंकम टैक्स अधिकारी आज हीरो हो गया है| पंथनिरपेक्षों का निगहबान बन गया है| परम शौर्य चक्र का तमगा उसे मिलना चाहिए | तो इस परिवेश में चुनावी और चन्द अन्य तथ्यों पर गौर कर लें|

अपनी सभाओं में नरेंद्र मोदी “भारत माता की जय” और “वन्दे मातरम” के नारे लगवाते हैं| बस एक ही दफा| हालाँकि बुजुर्ग प्रधानमंत्री का स्वर मद्धम रहता है| केजरीवाल भी अपनी सभा में ये दोनों नारे बुलंद करवाते हैं| आवाज जोर की होती है| हमेशा तीन बार दुहराते हैं| राष्ट्रवादी हो जाते हैं|
वन्दे मातरम से इन वामियों, खासकर इस्लामियों को नफरत है| घोर विरोध है| इसकी शुरुआत काकीनाडा (आंध्र) में 1923 में संपन्न राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि अधिवेशन से हुई थी| पण्डित विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने गाया था| तब अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने सदन का त्याग कर दिया था| क्योंकि इस गीत से इस्लाम खतरे में पड़ जाता था| बंकिम बाबू की इस क्रांतिकारी कविता में माँ की वन्दना है| बुतपरस्ती की बू आती है| गैर इस्लामी है| तभी से वन्दे मातरम का केवल प्रथम छंद गाया जाता है| अर्थात् माँ को सलाम करना गुनाह है|नरक जाना होगा, जन्नत नहीं पा सकते|

तो अरविन्द केजरीवाल वन्दे मातरम जैसा संकीर्ण फिरकापरस्त सूत्र क्यों दुहराते हैं? यूं अन्ना हजारे के आन्दोलन में सूत्रधार रहे केजरीवाल रामलीला मैदान की सभाओं से ही यह नारा लगवाते थे| अतः प्रश्न है कि उनके इन गंगाजमुनी संगियों के लिए केजरीवाल पंथनिरपेक्ष कैसे हुए?
दिल्ली के इस आम आदमी पार्टी के मुख्य मंत्री ने कश्मीर वाली धारा 370 को निरस्त करने पर मोदी का व्यापक और जोरदार समर्थन किया था| नागरिकता कानून के मसले पर प्रतिरोध नहीं दर्शाया| उनकी ख़ामोशी सर्वविदित है, शोरभरी है| आज की भाजपा सरकार के अन्य विवादित कानूनों पर उनका मौन मुखर है| फिर भी वे इन इस्लामियों और वामियों के हीरो बने हुए हैं| अभी तक केजरीवाल ने शाहीनबाग (संबित पात्रा के शब्दों में तौहीन बाग) में बुर्का ओढ़े नारियों के आन्दोलन का समर्थन नहीं किया| बल्कि नोयडा जाने की सड़क जाम करने वालों की उन्होंने आलोचना की थी|

मतदान की पूर्व संध्या पर उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ सार्वजानिक तौर पर किया| जीतने के बाद (11 फरवरी को) वे कनाट प्लेस वाले हनुमान मन्दिर में अर्चना हेतु गये| वोट दिलवाने पर बजरंगबली को खुले आम, सपरिवार आभार ज्ञापित किया |
इस चुनाव के दौरान एक सत्कार्य केजरीवाल ने अवश्य कर दिखाया| कांग्रेस की अंत्येष्टि का सामान जमा करा दिया| हालाँकि कांग्रेसी “भाई –बहन” लगे रहे पर वोटरों ने उनकी नहीं सुनी| राहुल गाँधी जिन क्षेत्रों में चुनावी सभा करने गए वहाँ उनके लोगों की जमानत जब्त हो गयी| छाछठ में सिर्फ तीन बचा सके| केजरीवाल का यह करतब यादगार रहेगा|
इस मुख्यमंत्री का सन्देश है कि “मोदीजी मेरे प्रधान मंत्री हैं|” वही कुछ राजस्थान -टाइप कि : “रानी (वसुंधरा राजे) तेरी खैर नहीं| मोदी तुमसे बैर नहीं|
गया राम को आया राम बनने में वक्त लगेगा| केजरीवाल को यदि कभी इलहाम हो गया तो ? सेकुलरों का क्या होगा तब ?

(वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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