16 बार उजड़ा घर, लेकिन फिर भी नहीं टूटे हौसले, फुटपाथ पर पढाई कर जज बनी ये लड़की

एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए रुबी ने कहा कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना जीवन की सबसे बड़ी बाधा है।

New Delhi, Feb 14 : उसका घर बार-बार उजड़ा, एक बार नहीं 16 बार उजड़ा, सिर से पिता का साया उठ गया, लेकिन उसका सपना नहीं बिखरा, उसे हासिल करने के लिये वो मेहनत करती रही, जी हां, हम बात कर रहे हैं पानीपत के मुस्लिम परिवार की लड़की रुबी की, जो जज बनकर अपने घर वालों और हरियाणा का नाम रोशन किया है, उसकी संघर्ष की कहानी दूसरों के लिये प्रेरणा स्त्रोत बन गई है, आइये आपको बताते हैं कि कैसे मुश्किलों का सामना कर हरियाणा की बेटी झारखंड में जज बन गई।

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झुग्गी में रहता था परिवार
जीटी रोड पर पानीपत अनाज मंडी के पास कुछ झुग्गी हैं, इन्हीं में से एक में रुबी का परिवार रहता था, उपयोग हो चुके कपड़ों में से वो कपड़े चुनते हैं, फिर उनसे धागा बनाया जाता है, वेस्ट कारोबार में मजदूरी करने वाले परिवार की रुबी पढ लिखकर अधिकारी बनना चाहती थी, 4 बहनों में सबसे छोटी रुबी ने अंग्रेजी से एमए किया है, यूपीएससी की परीक्षा भी दी, हालांकि सफल नहीं हो पाई, इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से झुग्गी ढहाने के लिये अभियान चलाया गया, बार-बार उसका घर टूटा, सड़क पर रात गुजारनी पड़ी, लेकिन उसका हौसला नहीं टूटा, डीयू से साल 2016 में एलएलबी की, फिर 2018 में यूपी और हरियाणा न्यायिक सेवा की परीक्षा में बैठी, लेकिन सफलता अभी दूर थी, मुसीबतें लगातार रास्ता रोक रही थी।

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झुग्गी में लग गई आग
बीते साल अप्रैल में उनकी झुग्गी में आग लग गई, फिर मई में झारखंड न्यायिक सेवा की परीक्षा हुई, जिसमें रुबी भी बैठी, उसने इस बार फुटपाथ पर बैठकर तैयारी की थी, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास करने के बाद 10 जनवरी 2020 को इंटरव्यू देकर लौटी, तो मन में सफलता की आस बंध गई, आखिरकार जब परिणाम आया, तो उन्हें 52वीं रैंक मिली, जब परीक्षा परिणाम देखा, तो खुशी से आंखें नम हो गई।

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आजीविका सबसे बड़ी चुनौती
एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए रुबी ने कहा कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना जीवन की सबसे बड़ी बाधा है, पिता अल्लाउद्दीन की साल 2004 में असामयिक निधन के बाद अम्मी जाहिदा बेगम ने हम 5 भाई -बहनों को अकेले ही बड़ा किया, मां ने तंगी झेलकर भी हम सभी की ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश की, रुबी ने बताया कि भाई मोहम्मद रफी ने हमेशा मेरा हौसला बढाया ।