ऐ मुहब्बत तेरे अंज़ाम पे रोना आया !

जूली के संपर्क में रही चर्चित लोकगायिका देवी के हवाले से कुछ दिनों पहले मिली एक सूचना के अनुसार जूली को वेस्ट इंडीज में त्रिनिडाड के एक सरकारी मेंटल हॉस्पिटल में देखा गया है।

New Delhi, Feb 18 : डेढ़ दशक पहले प्रो. मटुकनाथ चौधरी और उनकी छात्रा जूली की प्रेमकथा देश की सर्वाधिक चर्चित प्रेमकथाओं में एक रही थी। तमाम सामाजिक, पारिवारिक और नैतिक विरोध झेलते हुए दोनों ने साथ रहना स्वीकार किया था। वह भी एक ऐसे वक्त में जब लिव इन रिलेशन प्रचलित नहीं हुआ था।

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हम सबने मीडिया में उदात्त प्रेम पर उनके सैकड़ों प्रवचन पढ़े-सुने थे। कुछ ही सालों में जाने क्या हुआ कि दोनों के बीच अलगाव की ख़बरें आईं और उसके बाद एक सन्नाटा छा गया। कुछ समय तक जूली अवसाद की हालत में पटना के फुटपाथ पर देखी जाती रही। उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला।

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जूली के संपर्क में रही चर्चित लोकगायिका देवी के हवाले से कुछ दिनों पहले मिली एक सूचना के अनुसार जूली को वेस्ट इंडीज में त्रिनिडाड के एक सरकारी मेंटल हॉस्पिटल में देखा गया है। विक्षिप्त, अकेली, जीवन और मौत के बीच जूझती हुई। कुछ सालों पहले उसकी एक सहेली शायद उसे त्रिनिडाड के एक आध्यात्मिक गुरू के आश्रम में ले गई थी। हालात बिगड़ने पर आश्रम वालों ने उसे त्रिनिडाड के एक मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया।

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कहते हैं कि मुहब्बत का अंज़ाम जुदाई ही होता है, लेकिन ऐसे अंज़ाम की ख़बर सुनकर रूह तक हिल गई है। आईए, जूली के सामान्य होकर अपने वतन वतन लौटने की दुआ करें !

(IPS ध्रुव गुप्त के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)