Opinion – सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई शुरू होगी तब इन्हीं मौलाना को मुँह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी

राम मंदिर पर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से पहले भी बेआबरू हो चुके हैं तबलीगियो के ये पैरोकार जनाब मदनी।

New Delhi, Apr 16 : तबलीगियो की अश्लीलता, थूकना, मूतना, शौच, पुलिस पर हमले और संक्रमण के बावजूद मस्जिदों में उनके छिपने की खबरें मीडिया को दबा देनी चाहिए थी ? मीडिया ने कोरोना वायरस के खिलाफ लडी जा रही जंग में अपनी जान की परवाह न करते हुए देश को इस कट्टर दकियानूसी जमात की कारस्तानियो को उजागर करने का जो काम किया उसके लिए तो देश मीडिया को सलाम कर रहा है।

Advertisement

लेकिन एक कौम के कुछ सिरफिरे मुल्लों को इसमे हिन्दु – मुसलमान नजर आया और एक ऐसी ही कट्टरवादी jamiyat ulma-e-hind जमीयत उलमा-ए-हिंद का सदर मौलाना अरशद मदनी करोना के योद्धाओं की जमात के प्रमुख अंग मीडिया पर लगाम लगाने के लिए पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट। उसने याचिका मे आरोप लगाया कि Nizammuddin Markaz निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात के बारे में झूठी खबरों से मुसलमानों की छवि खराब करने की कोशिशें के अलावा दो समुदायों के बीच वैमनस्यता के बीज बोने का काम कर रही है ।लिहाजा हमारी शिकायत की सख्त बुनियाद पर कोर्ट मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करे।

Advertisement

ये मौलाना अरशद मदनी जनाब वही शख्स हैं जो राम मंदिर पर पांच जजों की खंडपीठ के एकमत से दिये फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये थे बेआबरू होने के लिए। दारूल हरब का ख्वाब देखने वाले ये मौलाना जालिम वहाबियो की मानिन्द बेतरतीब दाढी और सफाचट मूछ रखते हैं। ये बाबर को अपना हीरो अपना पूर्वज मानते हैं। जब कभी टीवी पर डिबेट मे बुलाए जाते हैं तो जहर ही उगलते हैं। पुरी दुनिया में इस्लाम और शरिया कानून के राज की सोच वाली तबलीगी जमात के ये पैरोकार हैं।

Advertisement

ये जनाब कोर्ट में याचिका दायर करते समय शायद भूल गये थे कि मरकज के अमीर मौलाना साद के वायरल आडियो मे कोरोना को कोई बीमारी नहीं मुसलमानों को आपस मे जुदा करने की साजिश करार दिया गया था और कहा गया था कि डाक्टरों की सलाह मत मानो फासला मत रखो, सट कर रहो, साथ खाना खाऑ। अल्लाह आपको कुछ नहीं होने देगा। नतीजा सामने है। लाकडाउन की मियाद जिसको आज पूरी होनी थी, तीन मई तक आगे बढ गयी। इन तबलीगियो के आका का हुक्म मानने की सजा देश को मिल रही है।
जिन तबलीगी जमातियों को क्वारंटाइन या एकान्तवास में भेजा गया, वहाँ जिस तरह की उनकी ओर से शैतानी हरकतें हुई वह एक इतिहास है।

न्याय की देवी की आख पर पट्टी बंधी है, न्याय करने वालों पर नहीं। आखिर वे भी उसी समाज मे रहते हैं और देखते हैं जो घटित होता है। यही कारण है कि सोमवार को मदनी साहब को एक तरह से लताडते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया का गला नहीं घोंट सकते। मीडिया के खिलाफ रोक का अंतरिम आदेश नहीं दे सकते। आप अपनी शिकायत प्रेस काउंसिल से कर सकते हैं। दो सप्ताह बाद हम सुनवाई करेंगे।
सुनवाई जब शुरू होगी और जब एक के बाद एक तबलीगी जमात के काले कारनामें सामने आएंगे तब इन्हीं मौलाना साहब को मुँह छिपाने की भी जगह नहीं मिलेगी।

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)