भारत की ये कंपनी कोरोना टीका बनाने के करीब, कुछ दिनों में शुरु हो सकता है उत्पादन

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मलेरिया टीका परियोजना पर काम कर चुकी है, अदार पूनावाला ने बताया कि हमें कोरोना के टीके के सितंबर-अक्टूबर तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है।

New Delhi, Apr 27 : कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया परेशान है, इसकी वैक्सीन बनाने के लिये तरह-तरह के प्रयोग हो रही है, टीके बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने रविवार को कहा कि ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय द्वारा विकसित कोविड-19 टीके की उसकी दो से तीन सप्ताह में उत्पादन शुरु करने की योजना है, अगर इसका परीक्षण इंसानों पर सफल रहा, तो अक्टूबर तक ये टीका बाजार में आ जाने की उम्मीद है, पुणे स्थित कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को उन 7 वैश्विक कंपनियों में शामिल किया गया है, जिनके साथ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने टीके के उत्पादन के लिये साझेदारी की है।

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2-3 सप्ताह में उत्पादन शुरु होने की उम्मीद
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इदार पूनावाला ने कहा कि हमारी टीम ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. हिल के साथ मिलकर करीब से काम कर रही है, हमें अगले दो से 3 सप्ताह में इसका उत्पादन शुरु कर देने की उम्मीद है, पहले 6 महीने उत्पादन की क्षमता प्रति महीने पचास लाख खुराक की रहेगी, इसके बाद हमें उत्पादन बढाकर प्रति महीने एक करोड़ खुराक करने की उम्मीद है।

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भारत में भी परीक्षण
आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मलेरिया टीका परियोजना पर काम कर चुकी है, अदार पूनावाला ने बताया कि हमें कोरोना के टीके के सितंबर-अक्टूबर तक बाजार में आ जाने की उम्मीद है, बशर्ते कि टीके का परीक्षण आवश्यक सुरक्षा और पर्याप्त प्रभाव के साथ सफल हो जाए। हम अगले दो से तीन सप्ताह में इस टीके का परीक्षण भारत में शुरु कर देंगे।

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भारत में परीक्षण की तैयारी शुरु
कंपनी ने ये भी कहा कि भारत में इस टीके का परीक्षण शुरु करने के लिये आवश्यक मंजूरियां लेने की प्रक्रिया जारी है, पूनावाला ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमने इस प्रयास को शुद से वित्तपोषित किया है, हमें उम्मीद है कि उत्पादन बढाने में हमें अन्य साझेदारों से भी सहयोग मिलेगा, उन्होने कहा कि टीके का विनिर्माण पुणे स्थित संयंत्र में किया जाएगा।

अलग संयंत्र में लग जाएं दो-तीन साल
कोरोना के टीके बनाने के लिये यदि अलग से संयंत्र बनाया जाए, तो असमें करीब दो से तीन साल लग जाएंगे, उन्होने ये भी कहा कि कंपनी इस टीके का पेटेंट नहीं कराएगी, इसे ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की कंपनियों के लिये उत्पादन और बिक्री करने के लिये उपलब्ध कराएगी, उन्होने कहा कि जो कोई इसका टीका विकसित करेगा, उसे टीके के विनिर्माण के लिये कई साझेदारों की जरुरत पड़ेगी।