कोरोना संकट के बीच खतरे में उद्धव ठाकरे की कुर्सी, राज्यपाल की चुप्पी ने बढाई शिवसेना सुप्रीमो की परेशानी
महाराष्ट्र सरकार के लिये ये दोहरी मुसीबत सामने आ चुकी है, एक तरफ तो कोरोना पीड़ितों की संख्या तेजी से बढती जा रही है, वहीं दूसरी ओर अब सरकार पर संवैधानिक संकट खड़ा होता दिख रहा है।
New Delhi, Apr 29 : भारत में सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, प्रदेश सरकार कोरोना से मुकाबला करने के लिये हर मुमकिन कोशिश में लगी हुई है, इन सबके बीच सीएम उद्धव ठाकरे पर सियासी संकट गहराता जा रहा है, दरअसल उद्धव ठाकरे का बतौर मुख्यमंत्री 6 महीने का कार्यकाल पूरा होने में अब सिर्फ 1 महीने से भी कम का समय रह गया है, ऐसे में वो किसी सदन का समय बनें इसके लिये उनका नाम महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्यपाल के पास बतौर एमएलसी मनोनीत करने के लिये भेजा है, इतना समय बीत जाने के बाद भी राज्यपाल ने ठाकरे के नाम मनोनीत नहीं किया है, जिसकी वजह से सीएम की चिंता बढती जा रही है।
दोहरी मुसीबत
महाराष्ट्र सरकार के लिये ये दोहरी मुसीबत सामने आ चुकी है, एक तरफ तो कोरोना पीड़ितों की संख्या तेजी से बढती जा रही है, वहीं दूसरी ओर अब सरकार पर संवैधानिक संकट खड़ा होता दिख रहा है, सरकार पर इस संकट को दूर करने के लिये कैबिनेट बैठक में उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाने का प्रस्ताव पास कर राज्यपाल के पास भेजा गया है, लेकिन भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है, 20 दिन बाद फिर कैबिनेट ने एक रिमाइंडर प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा है।
आज शाम मुलाकात
बताया जा रहा है कि आज शाम 6 बजे महाविकास अघाड़ी के नेता गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर उन्हें उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की गुजारिश करेंगे, हालांकि उससे पहले शाम 5 बजे उद्धव ठाकरे राज्यपाल के साथ मुंबई हाई कोर्ट के न्यायधीश के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहेंगे, जो राजभवन में हो रहा है।
अजित पवार की बैठक में लिया गया था फैसला
मालूम हो कि 6 अप्रैल को कैबिनेट ने सीएम उद्धव ठाकरे की अनुपस्थिति में डिप्टी सीएम अजित पवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से ये प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को भेजा था, कि मौजूदा हालात को देखते हुए विधान परिषद का चुनाव अभी नहीं कराया जा सकता है, ऐसे समय में जब सीएम उद्धव ठाकरे जो इस समय ना तो विधान सभा के सदस्य हैं ना ही विधान परिषद के, उन्हें राज्यपाल की ओर से नामित कर विधान परिषद की सीट के लिये मनोनीत किया जाए।