भारत में कमाई और साथ नेपाल का! मनीषा कोईराला के एक ट्वीट से बढ़ा विवाद, जानिए पूरा मामला

नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद में एक्‍ट्रेस मनीषा कोईराला ने ट्वीट से खबरों का मापमान बढ़ा दिया है, मनीषा ने नेपाल की ओर से जारी विवादित नक्‍शे का समर्थन किया है ।

New Delhi, May 20 : भारत और नेपाल के बीच यूं तो संबंध अच्‍छे हैं लेकिन कालापानी और लिपुलेख को लेकर सीमा विवाद जारी है । इस पूरे विवाद में बॉलिवुड की मशहूर ऐक्‍ट्रेस मनीषा कोइराला का भी रिऐक्‍शन आया है । मनीषा ने नेपाल की सरकार के कदम का समर्थन किया है, उस कदम का जिसमें उसने इन दोनों क्षेत्रों को अपने नक्शे के हिस्से के रूप में दिखाया है, जो कि विवाद का विषय है ।

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ट्वीट पर रिप्‍लाई
मनीषा कोईराला ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली के उस ट्वीट पर रिप्‍लाई किया जिसमें देश के आधिकारिक नक्शे में दोनों विवादित   क्षेत्रों को शामिल करने की जानकारी दी गई थी। ऐक्‍ट्रेस ने नेपाली सरकार को धन्यवाद भी दिया और भारत, नेपाल और चीन का जिक्र करते हुए लिखा कि वह इन सभी तीन महान देशों’ के बीच शांतिपूर्ण और सम्मानजनक बातचीत की उम्मीद करती हैं। यहां आपको बता दें कि मनीषा नेपाली मूल की एक्‍ट्रेस हैं, उनकी जन्‍म भूमि नेपाल ही है ।

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नेपाल के विदेश मंत्री का ट्वीट
दरअसल नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप  ग्यावली ने ट्वीट में कहा था कि मंत्रिपरिषद ने अपने 7 प्रांतों, 77 जिलों और 753 स्थानीय प्रशासनिक प्रभागों को दिखाते हुए देश का एक नया नक्शा प्रकाशित करने का फैसला किया है। इसमें ‘लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी’ भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आधिकारिक मानचित्र जल्द ही देश का भूमि प्रबंधन मंत्रालय प्रकाशित करेगा।

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कोरोना से जंग में मदद कर रहा है भारत और नेपाल …
इससे पहले प्रदीप ग्यावली की ओर से 17 मई को ट्वीट कर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत सरकार को धन्‍यवाद कहा गया था । भारत ने नेपाल को परीक्षण किट और चिकित्सा रसद प्रदान की है । आपको बता दें नवंबर 2019 में भारत के गृह मंत्रालय की ओर से एक नया नक्शा जारी किया था जिसमें कालापानी क्षेत्र को भारत का हिस्‍सा माना गया, लेकिन इस कदम से नेपाल सरकार नाराज हो गई । इस क्षेत्र पर नेपाल अपना दावा करता रहा है। नेपाल के मुताबिक लिपुलेख दर्रा उसके क्षेत्र में आता है जो देश के धारचूला जिले में सुदूर पश्चिम प्रदेश में स्थित है । कुछ समय पहले ही भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर जाने के लिए 80 किलोमीटर लंबी एक सड़क का उद्घाटन किया था जो लिपुलेख दर्रे पर खत्‍म होती है । नेपाल को इसे लेकर भी आपत्ति थी।