27 साल बाद इतना बड़ा टिड्डी हमला, सरकार ने बनाया फुल-प्रूफ प्‍लान, एक भी नहीं बचेगा

देश में साल 1993 के बाद टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला इस बार हुआ है । कोरोना काल में किसान वैसे ही संकट में है, अब इससे बचने की जुगत लगा रहे हैं ।

New Delhi, May 30: साल 1993 में टिड्डियों के हमले ने खूब नुकसान किया था, 27 साल बाद भारत के कुछ इलाके एक बार फिर इससे जूझ रहे हैं । उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में खतरनाक टिड्डी दल का आतंक जारी है । आतंकी कीड़ों का ये दल जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, अपने पीछे की सारी हरियाली को नष्‍ट करता जा रहा है । संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक भारत में टिड्डीयों का ये हमला 26 साल का सबसे बड़ा हमला है ।

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इनसानों के लिए खतरा नहीं
टिड्डियों के इस हमले से इनसानों को तो कोई खतरा नहीं लेकिन इससे फसलों, पेड़ – पौधों को तगड़ा नुकसान होना तय है । टिड्डियों locust attack 4 के झुंड में लाखों कीड़े शामिल होते हैं । इस पर शोध कर रहे जानकारों के अनुसार कीड़ों का ये झुंड उत्तर पूर्वी अफ्रीका में तैयार होता है । ये ग्रासहॉपर फैमिली का ही एक सदस्य होता है । टिड्डे अपना झुंड बनाकर एक इलाके से दूसरे इलाके में जाते हैं । अगर ये कीड़े कम संख्या में हों तो खेती को इतना नुकसान नहीं पुहंचा पाते, लेकिन जब ये लाखों में हो तो तबाही तय होती है ।

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लापरवाह पाकिस्‍तान
दरअसल ऐसा नहीं है कि टिड्डी हमले को लेकर पहली बार सरकार काम कर रही है, हर साल इस हमले से बचाव के लिए तैयारियां की जाती है । भारत-पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच बैठकें होती हैं, जिसमें टिड्डी की स्थिति से locust attack 3 जुड़ी हुई सूचनाएं एक दूसरे को भेजी जा सकें और इस हमले से बचा जा सके । लेकिन इस छोटे लेकिन घातक दुश्मन को खत्म करने में पाकिस्तान बिलकुल दिलचस्पी नहीं दिखाता । भारत पर जब भी टिड्डी दल का हमला हुआ है वो पाकिस्तान की तरफ से ही होता है । इस बार भी ऐसा ही हुआ है, टिड्डियों का हमला इस बार राजस्थान से होते हुए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके तक पहुंच गया है ।

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सरकार बना रही है प्‍लान
टिड्डियों के इस हमले से निबटने के लिए सरकार अब सुद्धस्‍तर पर काम कर रही है । इन्हें खत्‍म करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय में लगातार बैठकें चल रही हैं । लेकिन इन सारी योजनाओं पर टिड्डियों के हमले भारी पड़ रहे हैं । मामले locust attack 5 में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का कहना है कि टिड्डियों के नियंत्रण के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके लिए डीजीसीए से अनुमति ले ली गई है । वहीं टिड्डी चेतावनी संगठन के ज्‍वॉइंट डायरेक्टर डॉ. जेपी सिंह  ने कहा है कि भारत सरकार इसके नियंत्रण के लिए लगी हुई है, लेकिन पाकिस्तान ने इसे रोकने की कोशिश तक नहीं की ।

टिड्डी हमले के पीछे की वजह ?
एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक टिड्डी दल मरुस्थल यानी कि रेगिस्‍तान में पनपते हैं । एक मादा 108 तक अंडे देती है और ये बढ़ते चले जाते हैं । locust attack 2 पाकिस्तान में थार मरुस्थल का बड़ा हिस्सा है, वहां पर ये पनपते हैं और हवा के साथ भारत में आ जाते हैं । कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि ये कीड़े रेगिस्तानी इलाके में पैदा होते हैं और हरियाली वाले इलाकों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं, उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं जिस दिशा की हवा चल रही होती है । ये बहुत तेजी से हरियाली चट कर जाते । एक खेत को कुछ ही मिनटों में खाने की क्षमता रखते हैं , और ये 50 से 100 गुना तेजी से अपनी संख्या में बढ़ोतरी करते हैं ।

सरकार क्या कर रही है ?
अब सवाल ये कि योजनाएं बनाने वाली सरकार क्‍या कर रही है, मीडिया को मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी चूंकि राजस्‍थान से आते हैं, इसलिए उन्‍हें जिम्‍मेदारी सौंपी गई है । उनके मुताबिक राजस्थान locust attack 1 के जालौर, जयपुर, करौली, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, पोकरण सहित टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा कीटनाशकों के छिड़काव सहित सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे है । टिड्डी को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 3 लाख लीटर मैलाथियान खरीद की मंजूरी दी है, ये एक कीटनाशक है । भारत में छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग पहली बार किया जाएगा, इसकी अनुमति भी ली जा चुकी है । किसानों को सलाह दी गई है कि टिड्डियों का दल आता दिखे तो जोर जोर से आवाज करनी है, थाली पीटकर, ढोल ताशे बजाकर इस टिड्डी दल को भटकाया जा सकता है ।