कोरोना केस 2 लाख के पास, ICMR ने चेतावनी के साथ कहा पीक आना अभी बाकी

कोरोना के रोजाना औसतन 8 हजार नये केस आने के बाद माना जा रहा था कि कोविड-19 का ये पीक सीजन है।

New Delhi, Jun 03 : भारत में कोरोना का कहर जारी है, संक्रमितों की संख्या 2 लाख पार हो चुकी है, इसके साथ ही भारत दुनिया का सातवां देश बन चुका है, जहां सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं, इन दिनों देश में रोजाना औसतन 8 हजार नये केस सामने आ रहे हैं, साथ ही तीन सौ लोगों की जान जा रही है, इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कहा कि देश में कोरोना का पीक सीजन आने में अभी काफी वक्त है।

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पीक सीजन
कोरोना के रोजाना औसतन 8 हजार नये केस आने के बाद माना जा रहा था कि कोविड-19 का ये पीक सीजन है, लेकिन आईसीएमआर के साइंटिस्ट डॉ. निवेदिता गुप्ता ने कहा कि भारत में कोरोना के पीक सीजन अभी बहुत दूर है, कोरोना को रोकने के लिये हमारी कोशिशें और सरकार द्वारा लिये गये फैसले काफी कारगर साबित हो रहे हैं, यही वजह है कि बाकी देशों की तुलना में हमारी स्थिति काफी बेहतर है, डॉ निवेदिता गुप्ता ने कहा कि ऐसे समय में हमारी पूरी कोशिश कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने की होनी चाहिये।

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जून-जुलाई में चरम पर
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत में जून या जुलाई में कोरोना के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं, गुलेरिया के मुताबिक भारत में कोरोना के मामले कब चरम पर होंगे, इसका जवाब मॉडलिंग डेटा पर निर्भर करेगा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों विशेषज्ञ डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर ने अनुमान लगाया है, कि भारत में जून या जुलाई में मामलों की संख्या अपने चरम पर पहुंच सकती है।

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बीमारी चरम पर
विशेषज्ञों ने कहा कि जब कोई संक्रामक बीमारी अपने चरम पर पहुंचती है, तो इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि इसका प्रकोप खत्म हो गया है, आमतौर पर इसका मतलब है कि सबसे खराब स्थिति से हम बाहर निकल चुके हैं, हालांकि बाद में इस महामारी का सेकेंड वेब भी आ सकता है, कोविड-19 ऐसी ही खतरनाक महामारी है।

रिकवरी रेट ज्यादा
राहत की बात ये है कि सबसे प्रभावित देशों के मुकाबले भारत का रिकवरी रेट काफी अच्छा है, यहां अब तकर 2 लाख मरीजों में से 95 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं, हमारा रिकवरी रेट अभी 48.3 फीसदी है, यानी हर 100 में से 48 मरीज ठीक होकर जल्द लौट रहा है, यूके का रिकवरी रेट सबसे खराब है, यहां अभी तक दो लाख मरीजों में से सिर्फ 0.001 फीसदी मरीज ही ठीक हो पाये हैं।