75 घरों का ये गांव अब तक दे चुका 47 IAS-IPS, बिना कोचिंग युवा क्लियर करते हैं UPSC
माधोपट्टी के नाम एक और बड़ा अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, इस गांव के एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पासकर नया रिकॉर्ड कायम किया था।
New Delhi, Jun 03 : यूपी के जौनपुर जिले का एक छोटा सा गांव माधोपट्टी देश के लिये अन्य गांवों के लिये प्रेरणा बन गया है, दरअसल इस छोटे से गांव ने अब तक इस देश को 47 आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के अलावा कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वाले अधिकारी दिये हैं, साथ ही समाज के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के लिये एक उदाहरण पेश किया है।
1914 में बने थे पहले आईएएस अधिकारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांव के पहले आईएएस अधिकारी मुस्तफा कवि वमीक जौनपुरी के पिता थे, जिन्होने साल 1914 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास किया था, और पीसीएस में शामिल हुए थे, हुसैन के बाद आईएएस इंदु प्रकाश थे, जिन्होने 1951 में सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी, और आईएफएस बने थे, वो करीब 16 देशों में भारत के राजदूत रहे, तब से ही ये सिलसिला चला आ रहा है।
एक ही परिवार के 4 भाई आईएएस
माधोपट्टी के नाम एक और बड़ा अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है, इस गांव के एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पासकर नया रिकॉर्ड कायम किया था, साल 1955 में परिवार के सबसे बड़े बेटे विनय ने 13वां स्थान हासिल किया था, बाद में वो बिहार के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए, इसके बाद उनके दो भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 164 में ये परीक्षा पास की, फिर सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में यूपीएससी परीक्षा पास कर कीर्तिमान स्थापित किया।
कई महत्वपूर्ण पद पर हैं इस गांव के लोग
इस गांव के युवाओं में पढाई के प्रति अलग ही लगाव है, यूपीएससी के अलावा कुछ युवाओं ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र और विश्व बैंक में भी काम किया है, सिर्फ 4000 आबादी वाले इस गांव में अब तक 47 लोग यूपीएससी क्रेक कर चुके हैं, इसके साथ ही बैंक पीओ और एसएससी में भी कई युवा हैं।
कॉलेज से ही शुरु कर देते हैं यूपीएससी की तैयारी
माधोपट्टी के एक शिक्षक ने बताया कि गांव में इंटरमीडिएट में पढाई करने वाले छात्र अकसर यूपीएससी और पीसीएस परीक्षा की तैयारी शुरु कर देते हैं, गांव के अधिकांश स्कूलों में शिक्षा का माध्यम अभी भी हिंदी है, इसलिये सभी युवा साथ-साथ अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिये खुद को प्रशिक्षित करते हैं, गांव के लगभग हर बच्चे की तमन्ना अधिकारी बनने की है, गांव वाले कहते हैं गांव का हर बच्चा जिलाधिकारी बनना चाहता है।
कोई कोचिंग संस्थान नहीं
हैरानी की बात ये है कि इस गांव में और आस-पास के गांव में भी कोई कोचिंग संस्थान नहीं है, फिर भी इस गांव के युवा कड़ी मेहनत से शहरों में पढाई करने वाले युवाओं को कड़ी टक्कर देते हैं, इन युवाओं की मेहनत का ही नतीजा है, कि आज माधोपट्टी देश में सबसे ज्यादा अधिकारी देने वाला गांव बन गया है।