हथिनी की मौत पर मेनका गांधी ने वायनाड सांसद राहुल गांधी की चुप्पी पर उठाये सवाल

जाहिर है राहुल गांधी वामपंथी लेखकों और पत्रकारों के सरताज हैं। मेनका गांधी उन की घृणा का सबब।

New Delhi, Jun 05 : केरल के पालक्कड़ में अनानास में विस्फोटक रख कर हथिनी को खिला कर उस की हत्या पर मेनका गांधी ने राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल क्या उठा दिया राहुल गांधी के बचाव में तमाम वामपंथी लेखक और पत्रकार मेनका गांधी की साड़ी उतारने में जी-जान से लग गए हैं।

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गोया यह वामपंथी लेखक , पत्रकार न हों , दुशासन हों और मेनका गांधी , द्रौपदी हों। कांग्रेस के लिए वामपंथियों की आऊटसोर्सिंग की इस बीमारी का इलाज हक़ीम लुकमान के पास भी नहीं है। मेनका से घृणा की कैफियत की इंतिहा ही नहीं है। मुसलसल जारी है यह घृणा। जाहिर है राहुल गांधी वामपंथी लेखकों और पत्रकारों के सरताज हैं। मेनका गांधी उन की घृणा का सबब। इतना कि गर्भवती हथिनी की हत्या उन के लिए मजाक का सबब बन गई है। यह कुछ-कुछ वैसे ही है जैसे गाय का मांस खाना।

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गौरतलब है कि गाय का मांस खाना , मूलभूत अधिकार बता कर गोहत्या को जस्टीफाई करने की रवायत की ही यह दूसरी सीढ़ी है। hathini यह लोग जानते हैं कि हाथी हो या गाय , भारतीय संस्कृति के पूजनीय चिन्ह हैं सो एक तीर से तीन क्या चार निशाने मार रहे हैं यह लोग।

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अव्वल तो यह कि राहुल गांधी का ईगो मसाज। दूसरे , मेनका और भाजपा पर प्रहार। तीसरे यह कि हाथी की ऐसी-तैसी कर भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाना। चौथे केरल की कम्युनिस्ट सरकार की रक्षा। गुड है। गुड है यह भी। शाहीनबाग़ ऐसे भी सांस लेता है। भले वेंटीलेटर पर आ कर। और इन सब से बड़ी बात यह कि चूंकि केरल में कम्युनिस्टों की सरकार है। तो इस अप्रिय विषय की आंच कम्युनिस्ट सरकार पर न आए , बिना नाम लिए उस की रक्षा का मकसद भी पूरा। जय हो !

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)