दाने-दाने को मोहताज 3 बार सीएम रह चुके शख्स का परिवार, तेजस्वी यादव ने किया बड़ा ऐलान

सरकार की ओर से पूर्व सीएम के परिवार को इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मकान बनवाया गया है, हालांकि उन्होने कभी कुछ मांगा नहीं।

New Delhi, Jun 05 : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री के परिजनों से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की, गुरुवार को हुई इस बातचीत के दौरान लालू के लाल ने उन्हें 1 लाख रुपये आर्थिक सहायता दी, साथ ही पर्याप्त राशन भी उनके घर पहुंचवाया, मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री के परिजन दाने-दाने को मोहताझ थे, इस परिवार के सामने भूखमरी की नौबत आ चुकी है, जिसकी जानकारी मीडिया के माध्यम से जैसे ही तेजस्वी को मिली, वो इस परिवार की मदद के लिये आगे आये।

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पूर्णिया में रहता है परिवार
मालूम हो कि भोला पासवान का परिवार पूर्णिया में रहता है, पूर्व सीएम बेहद ईमानदार और देशभक्त छवि के स्वतंत्रता सेनानी थी, महात्मा गांधी से प्रभावित होकर वो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे, गरीब परिवार से होने के बावजूद वो बौद्धिक रुप से काफी सशक्त थे, कांग्रेस पार्टी ने तीन बार उन्हें अपना नेता चुना, वो तीन बार संपूर्ण बिहार के मुख्यमंत्री बने।

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इंदिरा गांधी ने सीएम बनाया था
भोला पासवान का कार्यकाल निर्विवाद रहा था, उनका राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन पारदर्शी था, उन्होने बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल करने के बाद राजनीति में सक्रिय हो गये थे, इंदिरा गांधी ने 3 बार उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री और केन्द्र में भी मंत्री बनवाया, हालांकि वो इतने ईमानदार थे, कि जब उनका निधन हुआ, तो परिवार के पास इतने भी पैसे नहीं थे, कि ठीक से उनका श्राद्ध कर्म करवाया जा सके।

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भतीजे ने दी थी मुखाग्नि
बिरंची पासवान जो कि पूर्व सीएम के भतीजे हैं, उन्होने ही उन्हें मुखाग्नि दी थी, दरअसल शास्त्री जी को अपना कोई संतान नहीं था, वो विवाहित थे, लेकिन बाद में उनकी पत्नी उनसे अलग हो गयी, पूर्णिया के तत्कालीन जिलाधीश ने उनका श्राद्ध का इंतजाम करवाया था, गांव के सभी लोगों में उनकी बेहद इज्जत था।

कार्यकाल
सरकार की ओर से पूर्व सीएम के परिवार को इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मकान बनवाया गया है, हालांकि उन्होने कभी कुछ मांगा नहीं, पूर्व सीएम भोला पासवान का कार्यकाल फरवरी 1968 से जून 1968, फिर जून 1969 से जुलाई 1969 और जून 1971 से जनवरी 1972 तक रहा। उनका निधन 1984 में पटना में हुआ था।