सक्सेस स्टोरी: दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल बन गया DSP, अब अपने गृहराज्य में होगी तैनाती
सपने देखने का शौक है, लेकिन उनको सच होते देखना मेहनत का काम । अरुणाचल प्रदेश के एक युवक ने अपने सपने को कठिन मेहनत से सच कर दिया, आज उसके पिता को उस पर गर्व है ।
New Delhi, Jun 13: हौसलों की उड़ान पंखों से नहीं होती, मेहनत से होती है । ये बात सच कर दिखाई है दिल्ली पुलिस कांस्टेबल केकडम लिंगो ने, जिसने अपने सपनों को पंख भी दिए और पुलिस जैसी कठिन नौकरी में भी पढ़ने का वक्त निकाला और आज उसी पुलिस की नौकरी में अधिकारी के तौर पर तैनात होने वाले हें । लिंगो जब नौकरी के लिए घर से बाहर निकले तो उनके पिता को खुशी नहीं थे। वो अपने बेटे को खुद से दूर नहीं जाने देना चाहते थे, लेकिन लिंगो उनसे दूर होकर भी उनके पास रहने के सपने को साकार कर रहा था ।
कांस्टेबल की नौकरी में नहीं लगा मन
24 साल के केकडम लिंगो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में रहने वो एक आम परिवार का हिस्सा थे, जब दिल्ली पुलिस भर्ती अभियान के लिए घर से निकले तो पिता नाराज हुए । लेकिन लिंगों को 2015 में दिल्ली पुलिस में नौकरी मिल गई, एक कांस्टेबल के रूप में । लेकिन लिंगों को इस नौकरी में ज्यादा दिन रुकने का मन नहीं था, वो तो अधिकारी बनकर पुलिस टीम का नेतृत्व करना चाहते थे ।
पढ़ाई चलती रही
कांस्टेबल के रूप में कमरतोड़ नौकरी करते हुए पढ़ाई के लिए समय कहां मिलता था, लेकिन जो भी मिलता लिंगों उसमें खूब मेहनत करते । अब जब वो 28 साल के हैं तो अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर अपने ही प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षक बनने जा रहे हैं। लिंगो ने बताया कि – एक साल के लिए मैंने हर तरह के फिजूल खर्च करना बंद कर दिया, ताकि मैं परीक्षा के लिए खर्च कर सकूं। दिल्ली में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में अपने दिनों के दौरान, उन्होंने एक कमांडो कोर्स भी सफलतापूर्वक पूरा किया। मैं खाली समय में अपने फोन पर डाउनलोड की गई सामग्री से गुजरा करता था ।
दिल्ली पुलिस से बहुत कुछ सीखा
लिंगो ने बताया कि दिल्ली पुलिस के साथ काम करने के दौरान बहुत कुछ सीखा । लिंगो आखिरी एक साल गीता कॉलोनी पुलिस स्टेशन में तैनात थे । लिंगो ने कहा – मैं 25 अन्य पुलिसकर्मियों के साथ बैरक में रहा। आप कितना भी प्रयास करें, ध्यान केंद्रित करना मुश्किल है। लेकिन मेरे सहयोगियों ने मेरा बहुत समर्थन किया। इस महीने की शुरुआत में महामारी के कारण देरी के बाद परिणाम घोषित किए गए थे। जब मैंने अपना स्कोर सुना तो मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। मेरा सपना सच हो गया है।