कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए बुरी खबर, जिंदगी भर झेलनी पड़ सकती है कुछ बीमरियां – स्‍टडी

कोराना महामारी का अभी कोई अंत नजर नहीं आ रहा है, कई देशों में मरीजों की रिकवरी रेट बढ़ गई है, लेकिन एक ताजा स्‍टडी ने चिंता बढ़ा दी है ।

New Delhi, Jun 24: भारत समेत दुनिया भर के तमाम देश कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं । अकेले भारत में कोरोना से पीडि़तों की संख्‍या 4 लाख 56 हजार पार कर गई है । हालांकि एक अच्‍छी खबर ये है कि भारत में मृत्‍यु दर दुनिया के मुकाबले 5 गुनी कम है, साथ ही रिकवरी रेट भी दूसरे देशों के मुकाबले ज्‍यादा है । स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत का रिकवरी रेट 56.38% हो गया है । लेकिन इस बीच आई एक स्‍टडी ने रिकवर्ड पेशेंट्स के लिए टेंशन बढ़ा दी है ।

Advertisement

स्‍टडी में खुलासा
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की रिकवरी के बाद की संभावनाओं पर हुई इस स्टडी में ये पता चला है कि बीमारी से रिकवर हो चुके हर तीन में से एक मरीज को पूरी जिंदगी स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी हुई गंभीर दिक्कतें झेलनी पड़ सकती हैं । इनमें लंबे वक्त के लिए उनके फेफड़ों में इंफेक्शन रह सकता है । ये स्‍टडी उन मरीजों के लिए चिंता का सबब बन गई है जो इस बीमारी से ठीक होकर खुद को सुरक्षित मान रहे हैं ।

Advertisement

इंग्‍लैंड में हुई है स्‍टडी
दरअसल ये स्‍टडी ब्रिटेन के अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ ने इंग्लैंड की मुख्‍य हेल्थ एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस की मदद से पब्लिश की है । इस स्‍टडी में दावा किया गया है कि कोरोना से एक बार ठीक हो चुके करीब 30 फीसदी मरीजों को जिंदगी भर फेफड़ों की बीमारी से परेशान रहना पड़ सकता है । इसके साथ ही उनके लिए रोजाना के काम भी मुश्किल हो सकते हैं । इसके साथ ही थकान और मानसिक तकलीफ हमेशा साथ रह सकती है । वो मरीज जो आईसीयू तक जा पहुंचे थे उनके साथ और भी शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं ।

Advertisement

दिमाग को पहुंच सकता है नुकसान
स्‍टडी के गंभीर नतीजे कहते हैं कि जिन मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण पाए गए थे, वो ठीक होने के बाद भी जीवन भर शारीरिक समस्या के साथ-साथ दिमागी मुश्किलों को भी सामना कर सकते हैं । इस मरीजों को आगे चलकर अलजाइमर जैसी बीमारी हो सकती है, इस बीमारी में मरीज अपनी याद्दाश्‍त खोने लगता है ।

स्‍टडी की मुखिया का बयान
नेशनल हेल्थ सर्विस की चीफ हिलेरी फ्लॉयड के मुताबिक – ‘कोरोना से रिकवर कर चुके लोगों में आगे जाकर होने वाली शारीरिक परेशानियों को लेकर बहुत कम जानकारी मौजूद हैं । ऐसा पाया गया है कि कई मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी वायरस का असर रहता है।’ स्‍टडी पर एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस किडनी और फेफड़ों पर ही अटैक करता है । ज्यादातर मामलों में इसका असर फेफड़ों पर देखा गया है । यह फेफड़ों में सूजन पैदा करता है जिसे निमोनिया कहते हैं । ये वायरस  आंत और किडनी में भी जा सकता है । चूंकि फेफड़े इस वायरस के लिए प्रवेश द्वार हैं, इसी वजह से सबसे ज्यादा यही डैमेज होता है ।