धरी रह गई चीन की सारी चालबाजियां, चीनी राजदूत का कूबलनामा, गलवान घाटी को लेकर बड़ा बयान

पीटीआई को दिये इंटरव्यू में वेडोंग ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच भयंकर शारीरिक संघर्ष हुआ था, जिसमें हमारे फौजी भी हताहत हुए, इससे पहले चीन इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी थी।

New Delhi, Jun 27 : चीन का चालबाजी किसी से छुपी हुई नहीं है, इससे पूरी दुनिया वाकिफ है, सच्चाई को छुपाना चीन की फितरत में शामिल है, सरकार वहां क्या करती है, वहां के नागरिकों को भी इनकी भनक नहीं लगती, चीन में मीडिया भी फ्री नहीं है, 15 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गये, पूरी दुनिया को ये पता है, लेकिन चीन ने अभी तक फौजियों के मारे जाने पर कुछ भी नहीं कहा है, 10 दिनों की चुप्पी के बाद पहली बार भारत में चीन के राजदूत सुन वेडोंग ने माना, कि हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों की मौत हुई थी।

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राजपूत ने मानी मौत की बात
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये इंटरव्यू में वेडोंग ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच भयंकर शारीरिक संघर्ष हुआ था, जिसमें हमारे फौजी भी हताहत हुए, Galwan1 इससे पहले चीन इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी थी, अभी तक उन्होने नहीं बताया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कितनी चीनी सैनिक मारे गये, दावा किया जा रहा है कि गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प में 45 से ज्यादा चीनी सैनिकों की मौत हुई है, लेकिन चीन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।

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आंकड़ा छुपाता है चीन
चीन कभी भी किसी भी युद्ध में मारे गये सैनिकों की संख्या के बारे में सही जानकारी नहीं देता है, साल 1962 में कितने लोगों की मौत हुई थी, galwan 1 इसकी जानकारी चीन ने साल 1990 के बाद दी थी, बताया जा रहा है कि इस बार चीनी नागरिक मारे गये सैनिकों को सम्मान नहीं दिये जाने से बेहद नाराज हैं।

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सरकारी अखबार ने दी श्रद्धांजलि
इससे पहले पिछले दिनों चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जीजीन ने पीएलए अधिकारियों तथा सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा था, मेरा मानना है कि मृतकों का सेना में सर्वोच्च सम्मान के साथ व्यवहार किया गया है, सही समय पर इसकी सूचना समाज को दी जाएगी, ताकि नायकों को सम्मानित किया जा सके, साथ ही उन्हें याद किया जा सके।