चीन को भारतीय राजदूत की दो टूक, बीजिंग तय कर ले कि दोनों देशों के संबंधों को कहां ले जाना है
चीन की चालबाजियों से दुनिया वाकिफ है, गलवान में उसने जो भारत के साथ किया वो फिर ना हो इसके लिए उसे भारत की ओर से लगातार चेताया जा रहा है । चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने भी चेतावनी दी है ।
New Delhi, Jun 27: गलवान घाटी पर चीन का दावा भारत को सिरे से अस्वीकार्स, चीन की धोखेबाजी से भारत ही नहीं पूरी दुनिया अच्छे से वाकिफ है । पिछले दिनों जो कुछ गलवान घाटी में हुआ वो सबने देखा और चीन के झूठ से ऊपर भारत का साथ दिया । अब चीन में भारत के राजदूत ने गलवान घाटी पर चीन के किसी भी तरह के दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि गलवान घाटी पर चीन की ओर से संप्रभुता का दावा बिल्कुल ही असमर्थनीय है । इस तरह बढ़ा चढ़ाकर दावा करने से चीन को किसी तरह का फायदा नहीं होने वाला है ।
चीन को तय करना है, संबंध किधर ले जाने हैं …
भारतीय राजदूत ने कहा कि – ये पूरी तरह से चीन पर निर्भर है कि वो द्विपक्षीय संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहता है । चीन को इस पर सावधानी से विचार करना चाहिए । चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव न हो इसका एक मात्र उपाय ये है कि चीन LAC पर नए निर्माण करना तुरंत बंद करे । उन्होने समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें भरोसा है कि चीन इस बाबत अपने दायित्वों को समझेगा और एलएसी पर तनाव को दूर करेगा और वहां से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू करेगा ।
अवैध निर्माण की प्रक्रिया को रोके चीन
विक्रम मिसरी ने कहा कि चीन को बॉर्डर पार कर भारत की सीमा में आने और भारतीय जमीन पर निर्माण करने की अवैध हरकत को तुरंत बंद करना चाहिए । विक्रम मिस्री ने ये साफ कर दिया कि एलएसी पर यथास्थिति बदलने की चीन की कोशिश का असर दोनों देशों के बीच के वृहद द्विपक्षीय संबंधों पर हो सकता है ।
रिश्तों में पड़ चुकी है दरार
भारतीय राजदूत ने यह भी कह दिया कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आए, इसके लिए ये जरूरी है कि सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रहे । विक्रम मिसरी ने कहा कि चीनी सेना की हरकतों ने पहले ही दोनों देशों में अच्छी खासी दरार पैदा कर दी है । अब चीनी सेना को भारत की सेना की सामान्य पेट्रोलिंग गतिविधियों के लिए बाधा नहीं बनना चाहिए । भारत हमेशा से नियंत्रण रेखा का पालन करता आया है । चीन को ये समझना होगा, और पीछे हटना ही होगा । तभी दोनों देश पहले की तरह शांति की ओर आगे बढ़ सकेंगे ।