भारत से पंगा लेना प्रधानमंत्री ओली को पड़ा भारी! अपनी ही पार्टी ने मांगा इस्तीफा

प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर सत्तारुढ पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक शुरु होते ही प्रचंड ने रविवार को पीएम द्वारा की गई टिप्पणी पर उनकी आलोचना की।

New Delhi, Jul 01 : भारत-नेपाल बॉर्डर विवाद में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली को कड़ा रुख अख्तियार करना भारी पड़ता नजर आ रहा है, ओली के भारत विरोधी रवैये के बाद अब उनकी पार्टी में ही उनके खिलाफ आवाज उठने लगी है, ओली की भारत विरोधी टिप्पणी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड समेत सत्ताधारी नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को उनके इस्तीफे की मांग की है, दूसरी ओर ओली ने आरोप लगाये हैं कि काठमांडू और नई दिल्ली में उन्हें हटाने की साजिश रची जा रही है।

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मेरे खिलाफ साजिश
नेपाल के एक प्रमुख समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट के अनुसार पीएम ओली ने आरोप लगाया है कि अभी चल रही बौद्धिक चर्चाएं, नई दिल्ली से आ रही मीडिया रिपोर्ट, काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास की गतिविधियां तथा अलग-अलग सहोटलों में चल रही बैठकों से समझना मुश्किल नहीं है कि कैसे सक्रिय तौर पर मुझे हटाने की कोशिशें की जा रही है, पार्टी के शीर्ष नेताओं का दावा है कि पीएम की टिप्पणी ना तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी और ना ही कूटनीतिक स्तर पर ये उचित थी।

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पीएम की टिप्पणी की आलोचना
प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर सत्तारुढ पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक शुरु होते ही प्रचंड ने रविवार को पीएम द्वारा की गई टिप्पणी पर उनकी आलोचना की, उन्होने कहा भारत उन्हें हटाने की साजिश कर रहा है, ये टिप्पणी ना तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी और ना ही कूटनीतिक तौर पर ये उचित थी, उन्होने आगाह किया, प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह के बयान देने से पड़ोसी देश के साथ हमारे संबंध खराब हो सकते हैं।

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भारत विरोधी रुख पर घिरे
हाल ही में नेपाल संसद में नये नक्शे को पास कराने के मुद्दे पर पार्टी और संसद में पीएम ओली को पूरा समर्थन मिला, इस नये नक्शे में कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल के भूभाग के अंदर दिखाया गया, जबकि ये इलाके पहले से भारत के नक्शे में शामिल रहे हैं, इसके कुछ कुछ बाद ही एनसीपी चेयरमैन कमल दहल प्रचंड और पीएम ओली के बीच मतभेद की खबरें सामने आने लगी, पीएम ने कहा कि अपनी जमीन पर दावा कर मैंने कोई भूल नहीं की है, नेपाल के पास 146 साल तक इन इलाकों का अधिकार रहने के बाद पिछले 58 साल से इस जमीन को हमसे छीन लिया गया था, हालांकि नेपाल के इस दावे को भारत खारिज कर चुका है।

चीन से बढ रही नजदीकियां
एक्सपर्ट्स के अनुसार बीते कुछ सालों में चीन ने भारत को नेपाल में विलेन की भूमिका में दिखाना शुरु कर दिया है, 2015 में भारत ने नेपाल को लेकर आर्थिक नाकेबंदी की, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और भी खराब हो गये, इस आर्थिक नाकेबंदी के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार ने चीन के साथ समझौता किया था, हालांकि उनकी सरकार गिर गई और फिर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी, इस दौरान भारत पर भी आरोप लगाये गये थे कि सरकार गिराने के लिये बाहरी ताकतों का इस्तेमाल किया गया है, ओली के भारत विरोधी रवैये के बाद प्रचंड को मौका मिल गया, वो भारत समर्थक माने जाते हैं।