मैं डरा नहीं रहा हूँ, बस आगाह कर रहा हूँ, भारत कोरोना की अंधेरी सुरंग में घुसता ही जा रहा है

मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेनसिंग के बारे में अब लगभग सभी लोग समझ चुके हैं, इसके बावजूद अगर यह महामारी फैलती ही जा रही है तो जब तक इसका समुचित इलाज नहीं आ जाता।

New Delhi, Jul 02 : हम आपको फिर से आगाह रहे हैं। कोरोना हर जगह पहुंचेगा। क्या महानगर, क्या शहर, क्या गांव, क्या टोला। जहाँ अभी यह नहीं पहुंचा है, वहां भी पहुंचेगा, इसलिए वहां के लोग मौज न मनाएं, सावधान रहें, क्योंकि इसी मौज मस्ती में कोरोना फैलता जा रहा है और अब कोई माई का लाल इसे रोकने की स्थिति में नहीं है।

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भारत में क्लोज्ड केसेज में मृत्यु दर 5% ही है, लेकिन मैं यह सोचकर सिहर रहा हूँ कि जिस तरह से अमेरिका में करीब 1% लोग संक्रमित हो चुके हैं, अगर वैसा भारत में हो जाए और फिर संक्रमित लोगों में से केवल 5% लोगों की ज़िंदगी से भी हमें हाथ धोना पड़े तो हमें करीब पौने सात लाख अनमोल लोगों का नुकसान हो जाएगा। 17 हज़ार से ज़्यादा जिंदगियां तो जा ही चुकी हैं।
इसलिए मैं डरा नहीं रहा हूँ, बस आगाह कर रहा हूँ। भारत कोरोना की अंधेरी सुरंग में घुसता ही जा रहा है। अंततः पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा नुकसान यहीं होना है। ऊपर से सरकारों ने लगभग हाथ खड़े कर दिये हैं और मेडिकल माफिया इस आपदा में अवसर तलाशने के लिए कमर कस चुके हैं। इसलिए आम लोग भारी मुसीबत में फंसने वाले हैं।

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कोरोना को खतरनाक नहीं मानने वाले लोगों को एक बात बता दूं कि जिन्हें समुचित इलाज मिल जाता है, उनके लिए गंभीर बीमारियां भी कम खतरनाक होती हैं और जिन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पाता, साधारण बीमारियां भी उनकी ज़िंदगी पर भारी पड़ जाती हैं।
उदाहरण के तौर पर अभी मैं आपको पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर शंकरदयाल शर्मा की पत्नी श्रीमती विमला शर्मा के बारे में बता रहा हूँ। उनकी उम्र 93 साल है, उन्हें हृदय और फेफड़ों की गंभीर समस्या भी है, इसके बावजूद कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वे ठीक हो गईं। क्यों? क्योंकि उन्हें समुचित इलाज मिल गया। एम्स के ट्रॉमा सेंटर में देश के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों ने 19 दिन तक उनका इलाज किया और कोरोना को हराया।

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दूसरी तरफ दिल्ली और अन्य कई जगहों के अनेक अस्पतालों में आपने देखा है कि किस तरह से इलाज न मिलने के कारण युवा और स्वस्थ लोगों ने भी दम तोड़ दिया है।
लब्बोलुआब यह है कि यदि आप अब भी कोरोना को हल्के में ले रहे हैं, लापरवाही कर रहे हैं, यह सोच रहे हैं कि यह बीमारी आपको नहीं हो सकती और यदि हो भी गई तो आपको कुछ नहीं होगा, तो आपको इन कुछ बातों का घमंड होना आवश्यक है-
1. आप लाट साहब हैं, आपको श्रीमती विमला शर्मा जैसा हेल्थ केयर मिल जाएगा और आप गंभीर खतरे के बावजूद बचा लिए जाएंगे।

2. आप धन्ना सेठ हैं, आप स्वास्थ्य माफिया द्वारा संचालित अस्पतालों में 10-20 लाख का बिल भरकर बच जाएंगे, जैसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन मैक्स अस्पताल में इलाज करा आए।
3. आपके दादा-परदादा ने आपके लिए काफी ज़मीन-जायदाद छोड़ी है, जिन्हें बेचकर आप मेडिकल माफिया का बिल भर देंगे और बच जाएंगे।
4. आप श्योर हैं कि अगर आपके शरीर में कोरोना आ भी गया तो खुद खांस खांस कर मर जाएगा।
5. आप किस्मत के महाबली हैं कि अगर किसी वक़्त डॉक्टर को यह फैसला करना पड़े कि किसका इलाज करें और किसे छोड़ें तो आपकी महाबली किस्मत के कारण आप ही इलाज के लिए चुने जाएंगे।

अगर आपको उपरोक्त में से किसी भी बात का घमंड नहीं है तो अब भी सचेत हो जाएं। ये समस्या पूरे साल चलेगी, इसलिए अपने खर्चे घटा लें और केवल अनिवार्य और जीवनरक्षक चीज़ों पर ही खर्च करें। अगर पास में कुछ पैसे बचे भी हैं तो उन्हें गाढ़े वक़्त के लिए बचाकर रखें। विलासिता की चीज़ों पर भूलकर भी खर्च न करें।
अब चूँकि सरकारें आपको बचाने के नैतिक दायित्व से खुद को लगभग मुक्त कर चुकी हैं, इसलिए यह सोचना आप ही का काम है कि इससे कैसे बचें। और अभी तक जितना मैं इस महामारी को समझ पाया हूँ, इससे बचने का एक ही उपाय है अनावश्यक रूप से अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचना।
मास्क, सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेनसिंग के बारे में अब लगभग सभी लोग समझ चुके हैं, इसके बावजूद अगर यह महामारी फैलती ही जा रही है तो जब तक इसका समुचित इलाज नहीं आ जाता, तब तक इससे बचने का एक ही उपाय है कि अनावश्यक रूप से अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचें। धन्यवाद।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)