Success Story: दूसरों के घरों में रोटियां बनाती थी मां, बेटा 22 साल की उम्र में बन गया IPS अधिकारी

मुश्किलें जिंदगी को आसान बनाने का रास्‍ता दिखा देती हैं, कुछ ऐसी ही कहानी है सफीन हसन की । जिन्‍होने मुसीबतों के सामने घुटने नहीं टेके, गरीबी को अपने लक्ष्‍य पर हावी नहीं होने दिया ।

New Delhi, Jul 03: सबसे कम उम्र के आईपीएस अधिकारी सफीन हसन का बचपन से लेकर जवानी तक का सफर कई मुश्किलों से भरा रहा । बचपन में न भरपेट खाना था, न ही  रहने का कोई एक ठिकाना । पढ़ाई में अव्‍वल रहने वाले सफीन के मां गाप के पास उनकी स्‍कूल फीस भरने तक के पैसे नहीं थे । लेकिन जिंदगी की इन चुनौतियों का सफीन ने मुस्कुराते हुए सामना किया । सफीन ने एक इंटरव्‍यू में कहा कि अगर जिंदगी में ये मुश्किलें ना होतीं, तो शायद वो आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंच ही नहीं पाते ।

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बचपन में ही अफसर बनने का साध लिया था लक्ष्‍य
सफीन हसन, गुजरात में सूरत के एक छोटे से गांव कानोदर के रहने वाले हैं । सरकारी स्‍कूल में ही शुरुआती पढ़ाई हुई । सफीन ने इंटरव्‍यू में बताया कि एक दिन उनके स्कूल के किसी कार्यक्रम में डीएम का आना हुआ था, उनका रुतबा और लोगों का उनके प्रति सम्‍मान देखकर सफीन प्रभावित हुए थे, मौसी से पूछा कि यह कौन हैं? मौसी ने उन्‍हें बच्चे की तरह समझाया कि बस समझ लो कि ये जिले के राजा हैं । बस सफीन के मन में तब से बड़ा अफसर बनने की बात घर कर गई ।

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एक शिक्षक ने बदली जिंदगी …
सफीन बचपन में बहुत जिद्दी थे, उनके अधिकारी बनने की इच्‍छा बात गांव के हर शख्‍स को पता चल गई थी । गुरबत के बीच सफीन ने 10वीं तक की परीक्षा तो पूरी कर ली, लेकिन जब ग्यारहवी में उन्होंने साइंस लेना चाहा तो गांव के सरकारी स्कूलों में यह सुविधा नहीं थी । परिवार के पास पब्लिक स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसा भी नहीं थे । उस दौरान उनके एक पुराने शिक्षक ने उनकी मदद की, उन्‍होने एक नए खुले पब्लिक स्कूल में सफीन को पढ़ने का मौका दिया । फीस के बोझ से भी मुक्ति दिलायी । सफीन ने 12वीं की इसके बाद एनआईटी से इंजीनियरिंग । इसके बाद दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेस की तैयारी करने का मन था । लेकिन आर्थिक हालात फिर आड़े आ गए ।

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गांव के एक परिवार ने की मदद
सफीन की मदद को अब गांव का एक परिवार सामने आया, जिन्हें सफीन अपने दूसरे माता-पिता का दर्जा देते हैं । हुसैनभाई पोलारा और ज़रीनाबेन पोलारा ने सफीन को दिल्ली तैयारी के लिये भेजा गया । इनसे सफीन सोशल वर्क के दौरान संपर्क में आये थे । वहीं सफीन के पिता मुस्तफा हसन और मां नसीम बानो ने भी बेटे को मोटिवेट करने में हिम्‍मत नहीं हारी । डायमंड यूनिट में काम छूटा तो सफीन के पिता ने इलेक्ट्रीशियन का काम शुरू कर दिया ।  मां शादी-ब्याह में रोटियां बनाने का काम करने लगीं । सफीन ने बताया कि महेनत और नेकी का पाठ उन्‍होने अपने माता-पिता से ही सीखा है । यही वजह रही कि उनकी मदद के दरवाजे हमेशा खुले ही रहे ।

परीक्षा से पहले एक्‍सीडेंट
सफीन मेहनत से पढ़ रहे थे, लेकिन किस्‍मत कुछ और ही खेल कर रही थी । मेन्स परीक्षा के लिये जाते समय सफीन की स्कूटी फिसल गयी, और उनका एक्सीडेंट हो गया । बाएं पैर के लिगामेंट्स टूट गये,  हाथ में चोट और सर से खून भी बह रहा था । लेकिन सफीन डरे नहीं, चेक किया कि सीधा हाथ काम कर रहा है कि, क्‍योंकि उन्‍हें तो परीक्षा देनी थी । पेन किलर खाकर किसी तरह परीक्षा दी । ब्रेक में उन्हें फर्स्‍ट एड भी दिया गया । परीक्षा के बाद लगभग डेढ़ महीने तक सफीन अस्‍पताल में रहे । इंटरव्‍यू से एक हफ्ते पहले ही उनको छ़ट्टी मिली थी । सफीन यूपीएससी की तैयारी करते समय ही ठान चुके थे कि, वो पहली बार में ही इसे क्लियर करेंगे और हुआ भी कुछ ऐसा ही । साल 2017 में महज 22 साल की उम्र में सफीन ने 570वीं रैंक के साथ पहले ही अटेम्पट में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली । बचपन का सपना पूरा हुआ और सफीन ना जाने कितनों के लिए प्रेरणा बन गए ।

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