Success Story: मामूली बस कंडक्टर की बेटी बन गई IPS ऑफिसर, एक अजनबी की बात ने जिंदगी बदल दी

हिमाचल के छोटे से गांव की शालिनी अग्निहोत्री ने बड़ी अधिकारी बनने का सपना देखा और उसे अपनी मेहनत और लगन से पूरा किया । एक आम लड़की के आईपीएस ऑफिसर बनने की कहानी, आगे पढ़ें ।  

New Delhi, Jul 04: हिमाचल प्रदेश के ऊना शहर में एक छोटा सा गांव है ठठ्ठल । यहां के एक निचले मध्‍यम वर्गीय परिवार की बेटी हैं शालिनी अग्निहोत्री, जो आज एक ऐसी शख्सियत बन चुकी हैं जिनके साहस और हौंसले की मिसालें दी जाती हैं । पढ़ाई में हरदम अव्वल आने वाली शालिनी ने अपने बचपन के सपने को पूरा किया और आज वो एक कड़क पुलिस ऑफिसर के रूप में जानी जाती हैं । उनका नाम सुनकर अपराधी डर से थर्र-थर्र कांपते हैं । शलिनी को प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठित बेटन और गृहमंत्री की रिवॉल्वर भी दी गयी है । इतना ही नहीं ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बेस्ट ट्रेनी का अवॉर्ड जीता और राष्ट्रपति के हाथों से पुरस्कृत हुईं ।

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नशा कारोबारियों के छुड़ाए पसीने
शालिनी अग्निहोत्री की पोस्टिंग उनके ही होम स्‍टेट हिमाचल के कुल्लू शहर में हुई तो उन्‍होने वहां पनप रहे नशे के काराबार के चीथड़े उड़ा दिए । ऐसी मुहिम चलाई कि नशे के कारोबारियों की हालत पतली कर दी । शालिनी का बचपन आसान नहीं था, निचले मध्‍यम वर्गीय परिवार की सभी परेशानियां उन्‍होने भी झेली, लेकिन उनके मां-बाप ने उन्‍हें अच्‍छी शिक्षा देने में कमी नहीं छोड़ी । शालिनी, आईपीएएस अफसर कैसे बनीं, इसके पीछे उनकी लाइफ का एक एक्‍सपीरियंस है ।

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मां के साथ बस में कर रहीं थी सफर, कि तभी …
उनके बारे में कहा जाता है कि, वो बचपन में अपनी मां के साथ उस बस में सफर कर रही थी, जिसमें उनके पिता कंडक्टर थे । तभी एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगाया हुआ था, जिस वजह से वो ठीक से बैठ नहीं पा रही थी । उन्होंने उस शख्‍स से हाथ हटाने को कहा लेकिन उस व्‍यक्ति ने हाथ नहीं हटाया । उल्‍टा, बोला कि तुम कहां कि डीसी हो जो तुम्हारी बात मानें? नन्‍ही सी शालिनी के मन में सवाल उठा कि ये डीसी क्या होता है, और क्‍या वो इतना पॉवरफुल होता है । इस घटना के बाद शालिनी ने डीसी के बारे में सब पता किया, पुलिस में डीसी का पद क्‍या होता है से लेकर उनके अधिकार तक । बाल मन ने ये भी ठान लिया कि वो अब बड़ी होकर ऐसी ही अफसर बनेंगी ।

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खुद से की यूपीएससी के बारे में –
यूपीएससी के कैंडिडेट्स को खूब सपोर्ट की जरूरत होती है, लेकिन शालिनी ने अपने घर में किसी को इस परीक्षा की तैयारी की कानोंकान खबर नहीं होने इी । उनको लगता था कि इतनी कठिन परीक्षा है कि अगर पास नहीं हुयी तो कहीं घरवाले निराश हो जाएंगे । कॉलेज के बाद शालिनी ने खुद ही यूपीएससी की तैयारी की, न कोचिंग ली और न ही किसी बड़े शहर का रुख किया ।  यूनिवर्सिटी हॉस्टल से ही पढ़ाई की । शालिनी ने मई 2011 में परीक्षा दी और 2012 में उनके इंटरव्‍यू का नतीजा आ गया । शालिनी की 285वीं रैंक आई थी ।

इंडियन पुलिस सर्विस को चुना
शालिनी अग्निहोत्री हमेशा से ही इंडियन पुलिस सर्विस चुनना चाहती थीं, परीक्षा पास कर उन्‍होने इसे ही चुना और ट्रेनिंग के बाद एक सख्त पुलिस ऑफिसर साबित हुयीं । शालिनी की बड़ी बहन एक डॉक्टर हैं और भाई एनडीए पास करके आर्मी में तैनात हैं । तीनों भाई-बहनों ने अपने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा किया है । शालिनी अपने माता-पिता के बारे में बताती हैं कि उन्‍होने उनसे 10 रुपए मांगे तो उन्‍होने 15 रुपए दिए, लेकिन कभी मां-बाप के विश्‍वास को टूटने नहीं दिया । आज वो जिस मुकाम पर है उसके पीछे उनके माता-पिता ही प्ररेणा हैं ।

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