Success Story: चाय का स्टॉल लगाते थे पिता, बेटे ने बिना कोचिंग कर दिया IAS परीक्षा में कमाल

जबलपुर के रहने वाले देशल दान ने पिता की आर्थिक तंगी को देखा, उनके समर्पण से सीख ली और बेहद सीमित मौके पर वो कर दिखाया जो सुख सुविधा पाने वाले बच्‍चे भी नहीं कर पाते ।

New Delhi, Jul 06: IAS Deshal Dan की सफलता की कहानी सभी के लिए प्रेरणा है, खासकर उन छात्रों के लिए जो जीवन में कुछ बनना चाहते हैं लेकिन संसाधनों की कमी के कारण, परिस्थिति के कारण बीच में ही हथियार डाल देते हैं, गिव अप कर देते हैं । राजस्थान के जैसलमेर के एक छोटे से गांव सुमालियाई के देशल दान की जिंदगी कम मुश्किलों वाली नहीं थी, संघर्ष और देशल दान का चोली-दामन का साथ रहा । घर पर भी मुश्किलें रहीं और आर्थिक हालातों तो ऐसे थे कि इनसान कुछ सोच तक ना सके । लेकिन उन्‍होने ना सिर्फ इन सबसे ऊपर एक सपना देखा बल्कि बड़ी सफलता को भी हासिल किया ।

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7 भाई-बहनों में सिर्फ 2 पढ़े-लिखे
देशल दान के कुल सात भाई-बहन हैं, सातों में सिर्फ वो और उनके एक बड़े भाई ने ही शिक्षा का रुख किया । बाकी परिस्थिति के आगे झुक गए । घर में पैसों की बहुत कमी थी, पिता कुशल दान चरण के पास थोड़े खेत थे लेकिन उपज कुछ नहीं थी । इसी वजह से उन्‍होने चाय बेचनी शुरू की । देशल के जन्म के पहले से ही वे टी-स्टॉल लगाने लगे थे । उनके दूसरे बच्‍चे उनके साथ या तो काम में मदद करते या फिर अन्‍य कोई काम करते । लेकिन देशल के बड़े भाई ने उनकी पढ़ाई पर ध्‍यान दिया । देशल के बड़े भाई इंडियन नेवी में पहुंच चुके थे, जब वे घर आते तो देशल से भी इंडियन फोर्स या एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस में जाने के लिए मोटिवेट करते थे । हालांकि देशल के बड़े भाई अपने सपने को साकार होते नहीं देख पाए । उनकी ऑन ड्यूटी डेथ हो गयी थी ।

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पहली बार में परीक्षा पास की
बड़े भाई की मौत के समय देशल क्लास 10 में थे, जिसके बाद वो पढ़ाई को लेकर गंभीर हो गए । दसवीं के बाद कोटा चले गए, यहीं से उन्होंने बारहवीं की। 12वीं के बाद जेईई का इंट्रेंस दिया और सेलेक्ट भी हुए । उन्होंने आईआईटी जबलपुर से ग्रेजुएशन किया । लेकिन भाई की कही एडमिस्ट्रेटिव जॉब वाली बात उनके दिमाग में घूमती रही । जिसके बाद देशल तैयारी के लिये दिल्ली चले गए, लेकिन आर्थिक हालात अब भी ठीक नहीं थे । लेकिन जज्‍बा और मेहनत इसकी कोई कमी नहीं थी । देशल ने बिना कोचिंग पहली बार में 82वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और अपने पिता तथा परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया ।

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पिता नहीं जानते बेटा क्‍या बन गया है ..
देशल के पिता इतने सीधे, सरल व्‍यक्ति है कि वो ये तक नहीं समझते थे कि आईएएस क्या होता है । जब बेटा सेलेक्ट हुआ, तो यह जरूर महसूस हुआ कि कुछ तो खास होगा । बहरहाल देशल की दिन रात की मेहनत सफल रही, मात्र 24 साल की उम्र में देशल ने यूपीएससी 2017 की परीक्षा में टॉपर्स की सूची में अपनी जगह बना ली । पूरे गांव के लिए वो एक मिसाल बन गए ।