‘विकास दुबे नहीं मरता तो 2022 में विधायक-मंत्री होता, यही पुलिसवाले उसके गार्ड होते’
सीनियर जर्नलिस्ट कमाल खान का शुक्रवार को किया एक ट्वीट वरयरल हो रहा है । ये ट्वीट बहुत हद तक शासन-प्रशासन की कलई खोल रहा है ।
New Delhi, Jul 11: कानपुर जिले के बिकरू गांव में हुई 2 जुलाई की घटना सिर्फ पुलिस विभाग के ही नहीं अब अपराध जगत के जहन में भी हमेशा जिंदा रहेगी । पुलिस वालों पर हमले का जो अंजाम विकास दुबे ने और उसके साथियों ने भुगता और भुगत रहे हैं, उससे देश के अपराधी थर-थर कांप रहे हैं । कानपुर में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले 5 लाख के इनामी और कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। लेकिन अगर ऐसा ना होता तो क्या हो, इसकी संभावना वरिष्ट पत्रकार कमाल खान ने अपने ट्वीट में जताई है । पत्रकार का ट्वीट वायरल हो रहा है ।
कमाल खान का ट्वीट
एनडीटीवी के जर्नलिस्ट कमाल खान ने ट्वीट कर लिखा – विकास दुबे नही मरता तो शायद ये होता :
(1) डर के मारे कोई उसके खिलाफ गवाही नहीं देता।
(2) अपने समाज का बड़ा नेता बन जाता।
(3)2022 में विधायक/मंत्री होता।
(4)जो पुलिस उसे पकड़ के ला रही थी,वो उसकी सुरक्षा में होती।
(5)और हमलोग उसके बंगले के गेट पर उसकी बाइट लेने खड़े होते।” पत्रकार के ट्वीट से स्पष्ट है कि एक रसूखदार अपराधी, जिसके संपर्क देश के तंत्र में इतने गहरे हों वो सत्ता के सुख को पा ही लेते हैं । और विकास दुबे भी आने वाले समय में इसी सत्ता को पा सकता था ।
मुठभेड़ में मारा गया विकास दुबे
यूपी पुलिस की ओर से एनकाउंटर को लेकर कहा गया है कि जब एसटीएफ की टीम गाड़ी से विकास को कानपुर ला रही थी। तभी कानपुर से करीब दो किलोमीटर पहले भौती में गाड़ी पलट गई। इसका फायदा उठाते हुए विकास ने हथियार छीकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया। एसटीएफ की ओर से कहा गया है – अभियुक्त विकास दुबे को एसडीएफ उत्तर प्रदेश लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से लाया जा रहा था। यात्रा के दौरान जनपद कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुण्ड भागता हुआ मार्ग पर आ गया। लंबी यात्रा से थके हुए चालक द्वारा इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपने वाहन को अचानक से मोड़ने पर वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया।”
सरकारी पिस्टल छीनकर भागा विकास दुबे
बयान में आगे कहा गया कि – अचानक हुई इस घटना से इस गाड़ी में बैठ पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटे आई और क्षणिक रूप से अर्थ चेतनावस्था में चले जाने के कारण विकास दुबे ने अचानक घटित हुई इस परिस्थिति का लाभ उठाते हुए निरीक्षक रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया। इसके बाद विकास वाहन से निकलकर कच्चे मार्ग पर भागने लगा। दूसरे सरकारी वाहन में बैठे पुलिस उपाधीक्षक और अन्य अधिकारियों ने दुबे का पीछा किया और उसे आत्मसमर्पण करने को कहा गया। लेकिन दुबे ने पिस्टल से पुलिस पर फायर दिया जिसके बाद उसे ढेर कर दिया गया। विकास दुबे द्वारा की गई फायरिंग में एसटीएफ के मुख्य आरक्षी शिवेंद्र सिंह सेंगर और आरक्षी विमल यादव घायल हो गए, जिनका उपचार चल रहा है।